न्यूज डेस्क : बिहार वासियों को बिजली की बड़ी संकट झेलने पड़ सकती है। बताते चलें कि एनटीपीसी के बिजली घरों को कोयले की संकट सता रही है। जिससे बिहार को कोटे से कम मात्रा में बिजली की आपूर्ति हो पा रही है । बताते चलें कि बाजार में बेहद महंगी बिजली होने के कारण बिहार सरकार वहां से भी बिजली खरीद पाने में अक्षम है। इससे राजधानी पटना को छोड़कर ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ अन्य शहरी क्षेत्रों में भी बिजली की किल्लत हुई है। शहर में 3 घंटे तक बिजली सप्लाई को कम किया गया है। वही देहाती क्षेत्र में 5 घण्टे बिजली कटौती जारी है। बताते चलें कि ईसीएल और सीसीएल के कोयला खदानों में खनन का कार्य बहुत धीमा हो गया है।
जिस कारण बिजली घरों को आवश्यकता से कम मात्रा में बिजली की आपूर्ति हो पा रही है। इस कारण बिजली घरों का उत्पादन प्रभावित हो गया है। बता दें कि बिहार को इस समय एनटीपीसी से 400 से 600 मेगावाट तक बिजली की सप्लाई हो पा रही है । जिस कारण शहरों में भी रोटेशन व्यवस्था के अनुसार बिजली सप्लाई किया जा रहा है। बताते चलें कि कोयला संकट ऐसे ही बरकरार रहा तो राज्य में बिजली की किल्लत झेलनी पड़ सकती है। क्योंकि बाजार में 18 से ₹19 प्रति यूनिट की दर पर बिजली उपलब्ध है। सरकार इतना खर्च करने में सक्षम नहीं है। बिजली अधिकतम ₹14 खर्च करने की सरकार के पास है। सरकार एनटीपीसी से ₹5 प्रति यूनिट औसतन दर से बिजली खरीदती है। उधर दूसरी तरफ कोयला संकट दूर करने के लिए ऊर्जा मंत्रालय की बैठक हुई है। जिसे कोल्हापुर करने को लेकर कार योजना बनाई जा रही है। हालांकि इस बिजली संकट के बीच बिहार को एनटीपीसी से एक राहत मिली है । उड़ीसा के दरली पाली बिजली घर बनकर तैयार हो गया है । इससे 1 सितंबर से बिहार को 94 मेगावाट बिजली मिलेगी।