गर्व! बिहार की बेटी माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा – केवल 13 दिनों में नाप दी 18 हजार फीट..

बिहार के जमुई की रहने वाली अनीशा डूबे ने महज 22 वर्ष की आयु में हिमालय के 18 हजार फीट ऊंची चढ़ाई पर्वत की कर ली है। अनीशा ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर शान से तिरंगा लहरा दिया है। साथ ही उन्होने सिद्ध कर दिया है कि आर्थिक विपन्नता और सीमित साधन भी सपनों का पंख नहीं कुतर सकते। बड़ी से बड़ी मुश्किल दृढ़ संकल्प और जज्बे के सामने हार मान ही जाती है।

नगर क्षेत्र के बिहारी मोहल्ला की बेटी अनिशा ने बताया कि 28 सितंबर को सुबह 10 बजे माउंट एवरेस्ट के 18 हजार फीट ऊंचाई पर बेसिक कैंप पर अपना तिरंगा लहरा एवं राष्ट्रीय गान गाकर अपना मिशन पूरा कर लिया। उन्होंने कहा कि ‘मेरे बचपन का सपना पूरा हो गया है। इस टीम में मेरे साथ नालंदा जिला से गोपाल कुमार और प्रिया रानी, मध्य प्रदेश से अंजना यादव और अमित विश्वकर्मा सहित कुल पांच पर्वतारोही शामिल थे।’

अनिशा ने अपनी फतह पर आगे बताया कि “दस दिनों के ट्रैकिंग के दौरान हर दिन हम लोग सुबह पांच बजे ट्रैकिंग शुरू करते थे और रात के दस बजे तक चढ़ाई करते थे। चढ़ाई करने के दौरान बहुत से मुसीबतों का सामना करना पड़ा। मौसम भी काफी खराब था। पास में सीमित खाद्य सामग्री होने के कारण अल्पाहार कर आगे बढ़ते रहे। कई जगहों पर हम लोग भूखे-प्यासे चढ़ाई करते रहे। हमारे साथ आक्सीजन की भी समस्या रही। फिर भी हम लोग बिना रुके आगे बढ़ते रहे। हम लोग 13 से 15 दिनों में फतह कर के नीचे आ गए।”

अब अफ्रीका का माउंटेन किलिमंजारो है अगला टारगेट : अपने भविष्य के टारगेट के बारे में बात करते हुए अनीशा दुबे ने बताया कि ‘हमारी टीम का अगला टारगेट माउंटेन किलिमंजारो है जो अफ्रीका में है। इसकी ऊंचाई लगभग 19 हजार फीट है। इसके लिए हमें मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होना होगा। हमलोग माउंट किलिमंजारो पर भारत का तिरंगा लहराएंगे।’

अरुणिमा सिन्हा ने दी प्रेरणा : अनिशा ने बताया कि ‘बचपन से पर्वतारोहण का प्रेरणा मुझे अरुणिमा सिन्हा से मिली। पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा जिनका एक हादसे में एक पैर कट गया था। पैर न होने के बावजूद उन्होंने माउंट एवरेस्ट को फतह किया। बिना ट्रेनिंग लिए पर्वतारोही के सफर में पहला सफल प्रयास हिमाचल प्रदेश के माउंटेन पतालसू की लगभग 14 हजार फीट उंचाई पर चढ़ना है। 24 घंटे में हमलोगों ने चोटी पर तिरंगा लहराया।’