बिहार में रोजगार शुरू करने के लिए मजदूरों को 10 लाख लोन, जिसमें 5 लाख माफ, पोर्टल पर दर्ज करा लें नाम

डेस्क : बिहार सरकार ने एक बार फिर मजदूरों के हित में बहुत बड़ा फैसला लिया। खासकर, सर उन लोगों के लिए जो अपने राज्य में काम नहीं मिलने के चलते दूसरे राज्यों में काम करने पर विवश होते हैं। आपको बता दें कि अभी हाल ही में अलग-अलग राज्यों में लॉक डाउन लगने के कारण बिहारी प्रवासी मजदूर अपने राज्य लौटने पर विवश हो रहे है। इसी के मद्देनजर बिहार के CM नीतीश कुमार खुद सभी मजदूरों से यह अपील कर रहे हैं। कि सभी मजदूर जल्द से जल्द अपने राज्य लौटा आए ताकी सरकार उनके हुनर के मुताबिक उन्हें रोजगार करने के लिए लोन उपलब्ध कराएगी। बता दें कि आज से कुछ ही दिन पहले ग्रामीण बिहार मंत्री ने मजदूरों को स्वरोजगार देने की बात कही थी। श्रम विभाग के मंत्री जीवेश कुमार ने बताया कि दूसरे राज्यों से आए साढ़े नौ लाख लोगों पंचायत स्कीतर पर स्किल मैपिंग कराई गई है। वो चाहें तो लोन लेकर अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं।

10 लाख के लोन में 5 लाख की छूट मिलेगी.. मंत्री ने बताया मजदूरों को राज्य सरकार स्वयं का व्यवसाय करने के लिए 10 लाख रुपए का लोन मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के माध्यम से देने का काम कर रही है। ताकि, आने वाले मजदूर अपने हुनर और कौशल के माध्यम से अपना व्यवसाय कर बिहार के अन्य और लोगों को भी रोजगार देने का काम करें। इस योजना के तहत 5 लाख की सब्सिडी मिलेगी। लोन लेने वाले को 5 लाख रुपए ही लौटाने होंगे, वह भी रोजगार शुरू होने 12 महीने बाद 84 आसान किस्तों में।

ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से होगा रजिस्ट्रेशन.. ज्ञात हो कि पिछले साल भी विभाग ने वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को सरकार की योजनाओं से जोड़ने के लिए एक पोर्टल विकसित किया था। बिहार के सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में 14 लाख 87 हजार 23 रजिस्टर्ड मजदूर हैं। इनकी उम्र साठ साल तक है। ये सभी कंस्ट्रक्शन के अलावा दूसरा काम भी करते हैं। राजमिस्त्री, मजदूर, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर सहित कुशल मजूदर अपना नाम पोर्टल में रजिस्टर करा सकते हैं। इसके लिए आधार कार्ड की जरूरत होगी। पंचायत स्तर पर ही कुशल और अकुशल मजदूरों को रोजगार और लोन के बारे में बता दिया जाएगा। मजदूरों को कुशल और अकुशल दोनों श्रेणियों में बांटकर रोजगार दिया जाएगा। पंचायत, उद्योग, PHED, PWD जैसे विभागों से उनकी परियोजनाओं की जानकारी मांगी गई है, ताकि मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा काम मिल सके।