मां तड़ीपार हैं तो पिता जेल में, लेकिन बेटी भारी बहुमत से चुनाव जीतकर बनीं कम उम्र की MLA

झारखंड में भारतीय जनता पार्टी की हार और गठबंधन की जीत के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है वही बड़कागांव विधानसभा में भी महिला प्रत्याशी कांग्रेस की अंबा प्रसाद ने अपने माता-पिता के सीट पर कब्जा बरकरार रखा। उसके परिवार की जीत की हैट्रिक बनी है। अंबा प्रसाद ने 31514 वोट से जीत हासिल की। कांग्रेस की अंबा प्रसाद को 98862 वोट मिले। आजसू के रोशन लाल को 67348 मत प्राप्त हुए। भाजपा के लोकनाथ महतो को 31761 वोट मिले।

अम्बा के पढ़ाई की बात करें तो वो बैचलर्स ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन करने के साथ-साथ ह्यूमन रिसोर्सेज में MBA और लॉ की भी पढ़ाई कर चुकी हैं. साल 2014 की बात है जब अम्बा दिल्ली में रहने आईं यहां पर वो UPSC की जी तोड़ तैयारी करने में लगी थीं, तभी इस बात की उन्हें भनक लगी कि उनके पिता की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई है, इसके बाद अम्बा बड़कागांव पहुंची इसके बाद वो दोबारा कभी भी लौटकर दिल्ली नहीं आईं.

गौरतलब है कि साल 2019 में भी अम्बा अपनी मां की प्रतिनिधि बनी और उनका प्रचार किया. अम्बा उस समय सुर्खियों में आईं जब इनके लिए राहुल गांधी और कांग्रेस के किए नेताओं ने रैली की. हाल ही में जिस सीट पर अम्बा ने जीत दर्ज की उस पर उनके पिता योगेन्द्र साव भी साल 2009 में जीत हासिल कर चुके हैं. उन्होंने भी कांग्रेस की टिकट पर ही यहां से चुनाव लड़ा था, और मंत्री बने थे. लेकिन इसके बाद उनन पर कई आरोप लगे और उन्हें जेल भेज दिया गया. लेकिन साल 2014 में एक बार इसी सीट से अम्बा की मां निर्मला देवी ने कांग्रेस की दी हुई टिकट पर चुनाव लड़ी और जीत हासिल की. कहा जाता है कि इस गांव में अम्बा के पिता योगेन्द्र साव का बड़ा दबदबा रहे है. यहां कि बड़कागांव के वो बाहुबली कहे जाते हैं

जानकारी के अनुसार तो अम्बा के पिता योगेन्द्र साव के खिलाफ कुल 24 मुकदमे दर्ज हैं. उन्हें रामगढ़ स्पंज आयरन फैक्ट्री से रंगदारी मांगने का दोषी पाया गया था. जिसमें पहले झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें सज़ा सुनाई इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी झारखंड कोर्ट की सजा का को योगेन्द्र पर बरकरार रखे. कहा या भी जाता है कि अम्बा के पिता और माता उस वक्त सुर्खियों में आए जब साल 2016 में कफ़न आंदोलन हुआ. दरअसल इस दौरान NTPC ने खनने के लिए किसानों की जमीन ली थी, जिसका लोग अच्छा खासा मुआवजा देने की मांग कर रहे थे.

लेकिन इस दौरान चल प्रोटेस्ट में दंगा इतना ज्यादा भयानक रूप लिया कि पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी और चार लोग बे-मौत मारे गए. इसे बड़कागांव में गोलीकांड के नाम से याद किया जाता है. इस दंगे का खामियाजा इस दौरान निर्मला देवी को भुगतना पड़ा, और उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया. लेकिन इस दौरान कुछ लोगों ने पुलिस चौकी पर हमला बोलकर उन्हें जेल से छुड़ा ले गए. इसके बाद इस मामले की सुनवाई हुई और निर्मला देवी को तड़ीपार भेज दिया गया. ताकि इसका मुक़दमे पर असर पड़े.