बिहार के लोगों को कोरोना वैक्सीन के लिए करना होगा इंतजार, पहले चरण में इन्हें मिलेगी वैक्सीन, CM नितीश ने कही ये बात

डेस्क : कोरोना वायरस की वैक्सीन अब जल्द भारत में आ जाएगी और लोगों को दी जाएगी। इस पर ध्यान केंद्रित करते हुए सरकार की ओर से फैसला लिया गया है और बताया गया है कि आने वाले 4-5 महीने में बिहार के सभी लोगों को वैक्सीनेशन दे दिया जाएगा। नीतीश सरकार ने उल्टी-सीधी खबरों से लोगों को बचने के लिए कहा है। उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर गलत खबरें ज्यादा प्रसारित होती हैं और काफी कम समय में ज्यादा लोगों तक पहुंचती है।

जिस कारण लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा होती है। ऐसे में जनता सरकार को लेकर गलत धारणा बना लेती है, ऐसी खबरों से उनको बचना चाहिए। उन्होंने साफ किया है कि आने वाले 4 से 5 महीनों के अंदर बिहार के सभी लोगों को वैक्सीनेशन दे दिया जाएगा। ज्यादा जानकारी के लिए आपको बता दें कि भारत बायोटेक की ओर से कोवैक्स नाम की वैक्सीन और सिरम इंस्टीट्यूट की तरफ से कोविशील्ड नाम की वैक्सीन पर मुहर लगाई गई है। वैक्सीन को रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था भी सरकार की ओर से की गई है बताया जा रहा है, 26 जनवरी के बाद से फ्रंट लाइन वर्कर्स को यह वैक्सीन लगाई जाएगी और फिर धीरे-धीर आम लोगों तक यह वैक्सीन पहुँच जाएगी।

इसके बाद नीतीश सरकार ने यह साफ किया है कि सरकार की ओर से कई ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं, जिसके तहत वह असहाय और गरीब लोगों की मदद कर रहे हैं। सबसे पहले जब लॉकडाउन हुआ तो हमारी सरकार ने केंद्र की गाइडलाइन का पूरा पालन किया और सबसे ज्यादा लोग बिहार वापिस लाए गए। जब लोकडाउन के बाद ट्रेन चली तो उसमें सबसे ज्यादा बिहार के लोग थे, जिनको हमारी सरकार ने 14 दिन के अंदर प्रति व्यक्ति को ₹5000 दिए और लगातार सेवा की।

राज्य के जो गरीब लोग अपनी जगह से विस्थापित हो गए हैं, उनको दोबारा से नया बसेरा देने की कोशिश सरकार की ओर से की जा रही है। इस वर्ष बिहार में 5 करोड़ नए पेड़ लगाने का संकल्प है, जो साल के खत्म होते पूरा हो जाएगा। पिछले वर्ष 3 करोड़ पेड़ बिहार में लगाए जा चुके हैं। कई पर्यटन स्थल की तैयारी की जा रही है। जिसके चलते अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाएगा और जल जीवन हरियाली का कार्यक्रम भी जारी है। ऐसे में वह किसानों से गुहार लगा रहे है कि पराली ना जलाई जाए। पराली जलाने से प्रदूषण के कारण कई पक्षियों की प्रजाति विलुप्त हो गई है और इंसानों में फेफड़ों से सम्बंधित बीमारियां भी बढ़ गई हैं।