मिलिए, बिहार के रूमीन से, जो 22 देशों में रहे और मल्टीनेशनल कंपनी की जॉब छोड़, अब लड़ेंगे अपने पंचायत के लिए चुनाव..

न्यूज डेस्क (शिक्षा मिश्रा): अक्सर आप लोग कई बार देखते होंगे, गांव के लोग विदेश जाने के बाद भी अपनी मातृभूमि को नहीं भूलते हैं, भले ही करोड़ों रुपए काम ले लेकिन, अपनी संस्कृति को नहीं भूलते है। लेकिन इसी बीच आप लोगों को इसी से मिलते जुलते एक शख्स से मिलने जा रहे हैं, जो विदेशों में रहने के बावजूद भी अपने गांव को नहीं भूले और आज अपने पंचायत के विकास के लिए पंचायत चुनाव लड़ने को तैयार है।

ये है किशनगंज के रूमीन , इन्होंने 22 वर्षो तक एक निजी इंडस्ट्री में वाईस प्रेसिडेंट जैसे उच्च पद पर नौकरी की पढ़ने के लिए इन्होंने , अपनी पढ़ाई भी लंदन के साउथ बैंक यूनिवर्सिटी से की। वहां के बाद नौकरी के सिलसिले में भी 22 देशो में रहे, लेकिन अब रूमीन ने किशनगंज जिले में इलाके की बदहाली, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार में व्याप्त पिछड़ापन को दूर करने के उद्देश्य से जिला परिषद का चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। यह भी उन युवाओं में शामिल है जो की देश के लिए अपने आप को समर्पित करते है और जन सेवा में लगे रहते है ।

दरअसल बिहार में इन दिनों पंचायत चुनाव जारी है और ऐसे में कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत किशनगंज जिला परिषद क्षेत्र संख्या 10 से रूमीन इस बार चुनाव में खड़े हुए है । इनको इलाके के 7 पंचायतों कमलपुर, कुट्टी, बगलबरी, मजगवा, तेघर्या, डेरामारि, पाटकोई के मतदाता अपना वोट देंगे. वही इस इलाके के लिए नॉमिनेशन 26 अक्टूबर से 1 नवंबर तक होगा ।

जब भी गांव आए तो वहा के बदहाल हालात को देख होते थे निराश

रूमीन जब भी गांव आए तो वह चाहते थे कि गांव वालों की परेशानियों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व के माध्यम से दूर करने में मदद मिले और क्षेत्र का विकास हो सके। बता दे की रूमीन के पिता भी पूर्व में मुखिया रह चुके हैं पर उनको उच्च शिक्षा की पढ़ाई-लिखाई के लिए विदेश भेज दिया गया था । वही रूमीन जब भी विदेश से दो-चार वर्षों में अपने गांव आते , तो इलाके की बदहाली को देख उसमें सुधार करने की इच्छा हुमएश से रही थी । और अब उन्होंने अपनी सोच को जमीन पर उतारने के लिया पंचायत स्तर की राजनीति में अपनी किस्मत आजमा रहे है।