जिले के डीएम होने के बावजूद निभा रहे हैं डॉक्टर होने का धर्म – कोरोना काल में ग्राउंड लेवल पर उतरकर की थी मदद

डेस्क : कोरोना महामारी के वक्त कई ऐसे लोग उठकर सामने आए जिन्होंने लोगो की मदद की और लोगो ने उनको सिर आँखों पर बैठा लिया। कई बार ऐसे लोगो को फरिश्ता कहा जाता है और फ़रिश्ते जैसा काम हमें दरभंगा में देखने को मिला है जहाँ पर उनको इस काम का कोई लाभ दायक परिणाम नहीं मिला है। दरभंगा जिले के अधिकारी त्यागराजन एम एस लोगो की चिकित्सक के रूप में सेवा कर रहे हैं और अपना कार्य भी संभालते हैं।

जब कोरोना फैलना शुरू हुआ था तो वह डॉक्टर बन लोगो को सलाह देते नजर आए थे। एक तरफ वह क्वारंटीन और अस्पताल में घूम कर लोगो को देखने लगे तो दूसरी ओर आवास के पास सभी की मदद करना और आम जन की रक्षा करने लगे। उनका मकसद वह तय कर चुके चुके थे कि वह लोगों के लिए उठकर आगे आएंगे और जितना हो सकेगा उतनी मदद करेंगे। वह 16 दिसंबर 2020 को कोरोना के शिकार हो गए थे। इसके बाद उन्होंने अपने आप को कारण्टीन कर दिया और फिर 15 दिन बाद स्वस्थ होकर लौटे। उनको कोरोना वायरस के घातक परिणामों का एहसास हुआ तो उन्होंने जिले में पूरे दमखम के साथ मेहनत कर सभी लोगों को यह समझाया कि कोरोना कितना खतरनाक है।

इस कार्य के लिए हर व्यक्ति को आगे उठ कर आना चाहिए और मानवता की सेवा में अपना योगदान करना चाहिए। आपको बता दें कि इन्होंने तमिलनाडु स्थित कोयंबटूर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस पूरा किया था। उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री 2008 में ले ली थी इसके बाद 2010 में यूपीएससी की तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफल हो गए। चयनित होने के बाद धीरे-धीरे समय बिता तो वह ओरिसा में रामगढ़ के एसपी के तौर पर सेवा देने लगे। हालांकि, इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और एक और प्रयास 2011 में दिया और इसके बाद उनको बिहार का कैडर मिला। तब से लेकर आज तक उन्होंने हार नहीं मानी और लोगों की सेवा करने में अपना पूरा जीवन झोंक दिया। वह अपनी उम्र में सिविल सेवा में कई पदों पर काम कर चुके हैं और फरवरी 2019 से दरभंगा में सेवा दे रहे हैं

उनका कहना है कि चिकित्सक बनने का मतलब सिर्फ डॉक्टर बनकर लोगों के काम आना नहीं होता बल्कि लोगों से रूबरू होकर उनकी समस्याओं को जानकर बीमारी को जड़ से खत्म करना होता है। कोरोना के टीके सभी सरकारी केंद्रों पर उनकी निगरानी में लगवाए जा रहे हैं। वह हर चीज को वैज्ञानिक और असामान्य दृष्टि से देखते हैं। उनका मानना है कि अगर हर कोई इस तरह से चीजों को देखें और गंभीरता से सोचे तो वह लोगों को जागरूक करने में सफल रहेगा।