डेस्क : बिहार में कांग्रेस विधायक पार्टी के नेता अजीत शर्मा का कहना है कि बिहार में शराबबंदी अलग मकसद से लाइ गई थी। दरअसल ये शराबबंदी इसलिए लाई गई थी ताकि गरीबों का पैसा बच सके और राज्य तरक्की की ओर आगे बढ़ सके लेकिन हुआ कुछ और ही। कई मामले सामने आ रहे हैं जहां पर लोग शराब का वितरण करते पुलिस द्वारा पकड़े जा रहे हैं ऐसे में कई शराब माफियाओं के पास पैसा जा रहा है यह पैसा सरकार के पास जाए तो राज्य का विकास हो और नए उद्योग लग सके।लोगों ने इसके जरिए नया काम ढूंढ लिया है जिसके तहत वह शराब की डिलीवरी कर पैसे कमा रहे हैं।
इसी के साथ जहरीली शराब के वितरण का भी डर बना हुआ है। अगर शराब को वापस से सरकार द्वारा वितरित किया जाए तो यह सारी परेशानियां खत्म हो सकते हैं। 2016 में जब सरकार और कांग्रेस पार्टी का मेलजोल था तब हम यह कानून इसलिए लाए थे ताकि राज्य के लोगों का विकास हो सके लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई है और लोग इसका उल्टा करते नजर आ रहे हैं जिस वजह से अब इस कानून को खत्म कर देना चाहिए।
इस पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी का कहना है कि सबसे पहले मैं धन्यवाद देना चाहता हूं बिहार के मुख्यमंत्री को कि इतने अच्छे तरीके से उन्होंने शराबबंदी के कानून को चलाया लेकिन ऐसे में अब मेरी दरख्वास्त है कि कई गरीब और छोटे लोग हैं जो इस वक्त जेल में बंद है। वह मात्र शराब बेचने के मामूली अपराध में जेल में बंद है उनको रिहा कर देना चाहिए। जीतन राम मांझी इस वक्त जन लोकतांत्रिक दल के सदस्य हैं और उनके इस सुझाव पर जरूर विचार किया जाएगा ऐसे में आने वाले समय में शराबबंदी कानून अगर निरस्त किया जाता है तो यहां आने वाले समय में काफी कुछ अलग देखने को मिल सकता है