दादा करते थे बूट पोलिश और बाप ने की किसानी, परिवार की बिटिया डॉक्टर बनकर निकली और बदल दी किस्मत

डेस्क : आज हम बात करने वाले हैं ऐसी शख्सियत के बारे में जिनके पिताजी ने किसानी करके उनको पढ़ाया और उनके दादाजी ने बूट पॉलिश कर परिवार का पेट पाला। इनका परिवार शुरू से ही आर्थिक तंगी से घिरा रहा है लेकिन किसी भी सदस्य ने हार ना मानते हुए सारा ध्यान लड़की की परवरिश पर लगा दिया। लड़की की मां शुरू से ही चाहती थी कि वह अपनी बेटी को ज्यादा से ज्यादा पढ़ा लिखा कर एक मुकाम तक पहुंचाएं। वहीँ लड़की ने भी इस तरह का कार्य कर दिखाया जहाँ वह लाखों लोगों की प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। पिता ने खेती में दिन रात मेहनत की और परिवार का पेट पाला जिस वजह से बेटी के सपनों के पंख को उड़ान मिली।

लड़की का नाम है कुमारी मंजू फिलहाल वह डॉक्टर है इसलिए हम उन्हें डॉक्टर कुमारी मंजू कह कर बुलायेंगे। आरा के परिवार में बेटा नहीं हुआ इसके लिए परिवार पर काफी दबाव भी बनाया गया लोगो ने कहा की वह दूसरी शादी कर ले ताकि पुत्र मिल सके। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इनका कोई भी मकान नहीं था एवं कोई सुख सुविधा नहीं थी परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। डॉक्टर कुमारी मंजू का जन्म बिहार के गोपालगंज में हुआ था वह भोरे प्रखंड के अति पिछड़े गांव बनकटा की निवासी हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने पिताजी की साइकिल से आते जाते हुए पूरी की। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लालटेन की रोशनी में की। वह वक्त इतना बुरा था कि उस समय कोई भी बाप अपनी बेटी को घर से बाहर नहीं निकलने देना चाहता था। वहीं दूसरी और मंजू के हौसले बुलंद थे, बचपन में होनहार छात्रा भी थी।

वह बेहद ही गरीबी की हालात से गुजर रही थी। इसलिए बाद उन्होंने सोचा कि वह अपने पिता की सहायता करने के लिए छोटे बच्चों को ट्यूशन देंगी। धीरे-धीरे उन्होंने मेहनत करते हुए पैसे जोड़ने शुरू किए। इसके बाद डॉ कुमारी मंजू ने नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर ली और वह नंबर वन मेडिकल कॉलेज पीएमसीएच से एम एस की पढ़ाई चालू कर दी। आज वह एक सफल चिकित्सक के रूप में जानी जाती है। वह अपनी इस उपलब्धि से हर गरीब बच्चों की सहायता कर रही हैं मुफ्त मेडिकल कैंप लगा रही हैं। पढ़ने के लिए किताबें और कपड़े फ्री में दे रहीं हैं। एवं दलित समाज के बच्चों की सहायता कर रही हैं। वह समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।