नितीश सरकार का बड़ा फैसला, संविदा पर कार्य कर रहे कर्मचारी नहीं है सरकारी सेवक – जान लें ये बात

डेस्क : बिहार में रोजगार का मुद्दा एक बार फिर से गरमा गया है एक ओर बिहार सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि वह बिहार के नौजवानों को नौकरी दे वहीं दूसरी ओर जो नौकरी देने वाली विभाग हैं वह संविदा पर नौकरी देने का आश्वासन दे रहे हैं। आपको बता दें कि संविदा के अनुसार अगर नौकरी मिलती है तो नौकरी करने वाले को एक महीने पहले यह बता दिया जाता है कि उसकी नौकरी रहेगी या खत्म कर दी जाएगी।

ऐसे में नौकरी करने वाले को अपनी व्यवस्था खुद करनी होगी। इस बात को लेकर संविदा बहाली एक बार फिर से घेरे में आ गई है। संविदा कर्मियों को नियमित नौकरी के लिए वेटेज दी जाएगी। अगर पदों की नियुक्ति में देरी हो रही है तो संविदा के आधार पर बिहार के कई विभागों में बहाली की जाएगी और यह तब तक चलेगी जब तक की नियमित नियुक्ति नहीं शुरू न हो जाए। आपको बता दें कि संविदा बहाली का एक और फायदा है और दूसरी ओर नुकसान भी है।

संविदा के दम पर नौकरी करने वाला व्यक्ति असमंजस में ही रहता है। आने वाले समय में उसे नौकरी छोड़नी तो नहीं पड़ेगी? फिलहाल इस वक्त जितने भी संविदा कर्मी कार्य कर रहे हैं उनका एक साल का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है जबकि कई विभाग ऐसे हैं जहां पर सेवाएं रोक दी गई है। इस कार्य के तहत संविदा कर्मियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। आपको बता दें कि संविदा बहाली पर आरक्षण रोस्टर भी तैयार किया गया है इस तहत इच्छुक संविदा कर्मचारियों को हफ्ते के अनुसार एक सीमित समय में अटेंडेंस देना अनिवार्य होगा और यह फैसला प्रशासन विभाग की ओर से लिया गया है। इस वक्त पूरे बिहार में 11 लाख संवेदन कर्मी कार्य कर रहे हैं।