डेस्क : आज लोक आस्था के महापर्व का तीसरा दिन है ऐसे में भारत के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य में शामिल उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। छठ पूजा के दौरान लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग तो देखने को मिली लेकिन उनके चेहरों पर मास्क देखने को नहीं मिला। आपको बता दें कि वाराणसी, लखनऊ, पटना, मुजफ्फरपुर, झारखंड, धनबाद से लेकर हर आबादी वाले शहर में हल्की भीड़ नजर आई। जब शाम के वक्त सूर्य देव ने अपनी झलक दिखाइ तो लोगो को बेहद ही ख़ुशी हुई। सभी लोगों ने अपने घरों के बाहर एवं मोहल्ले में या छोटे तालाबों में अर्ध्य की तैयारी कर रखी थी।
इस बार वाराणसी के निकट गंगा घाट का नजारा अपने आप में ही देखते बन रहा था। यहां पर सभी व्रती महिलाएं अपने परिवार के साथ घाट के स्थल पर पहुंची हुई हैं और पूरी पूजा विधि विधान के साथ कर रहे हैं। सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करते नजर आए साथ ही कुछ लोगों का समूह दूर दूर बैठा हुआ है। अगर बात करें झारखंड की तो यहां पर लोगों का आना जाना दोपहर के वक्त ही चालू हो गया था।
जिसके बाद बारीडीह, बड़ौदा, सिर, घोड़ा का सूर्य मंदिर और अन्य सभी धार्मिक स्थल पर चहल-पहल बढ़ गई। यहां पर कुछ लोग बिना मास्क के भी नजर आए और किसी भी तरह का सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं देखने को मिला।आपको बता दें कि इस छठ पर्व पर हर अमीर और गरीब के घर में रोशनी है और सभी भक्तजन भक्ति के रस में डूबे हुए हैं। हर जगह छठी मैया के सुरीले गीत चल रहे हैं साथ ही प्रशासन भी पूरी तरीके से मुस्तैदी के साथ देख रहा है कि किस तरीके से लोग अपनी छठ पूजा मना रहे हैं।
अगर बात करें बिहार के नजारे की तो वह देखने में ही बन रहा था। जहां, पर पटना के घाटों को दुल्हन की तरह सजाया गया था और हर द्वार पर तोरण द्वार बनाए गए हैं साथ ही इनको फूलों की झालरों से सजाया गया है साथ ही व्रत करने वाले सभी लोगों को ज्यादा परेशानी ना हो इस वजह से रास्ते में कारपोरेट भी बिछाया गया था। ताकि वह पूजा स्थल तक आसानी से जा सके। आपको बता दें कि पटना के प्रचलित स्थल दीघा पुल पर त्यौहार के लिए पहले से ही बैरिकेडिंग की हुई थी। क्योंकि प्रशासन को पहले से ही पता था कि यहां पर भीड़ आ सकती है। ऐसे में भीड़ तो आई लेकिन वह काफी सावधानी बरतती नजर आई। साथ ही लोग प्लास्टिक का डब्बा लेकर आए थे, कुछ रबर के टब भी लेकर स्थल पर पहुंचे थे और उन्होंने ईट की मदद लेकर चारदीवारी बनाकर उसमें प्लास्टिक की पन्नी इस्तेमाल करके पानी भरा इसके बाद पूजा अर्चना की।