कुत्ते के प्रति दिखाई ऐसी वफादारी की उसकी मौत के बाद, रीति-रिवाज से की अंतिम विदाई – याद में बनेगा स्मारक

डेस्क : मरने के बाद कौन स्वर्ग जाता है या नर्क इसका फैसला तो ऊपर वाला ही करता है लेकिन मौत के बाद कितने लोग आपकी अर्थी पर आंसू बहाते हैं वह इस संसार के लिए मायने रखता है। लेकिन, अर्थी पर भी आंसू बहाने वालो की आज के समय में कमी आ चुकी है, क्यूंकि आंसू भी उनकी अर्थी पर बहाया जाता है, जिन्होंने इस जगत के लिए कुछ नेक कार्य किया हो। यह बात और अनोखी तब हो जाती है जब अर्थी एक पालतू कुत्ते की हो।

जी, हाँ पूर्णिया जिला केनगर प्रखंड कोहवारा पंचायत के रामनगर गाँव में रहने वाले एक परिवार ने अपने कुत्ते को 15 साल तक पाला। कुत्ते को वह प्यार से ब्राउनी बुलाते थे और ब्राउनी पूरी शिद्दत से उनके खेत की रक्षा करता था। उनका लगाव बरौनी की तरफ ज्यादा हो गया और जब बरौनी ने अपना दम तोड़ दिया तो उसको पालने वाले परिवार ने हिन्दू रीती रिवाज के मुताबिक़ अंतिम संस्कार किया। इस वजह से इंसान का जन्म सर्वश्रेष्ठ जन्म माना जाता है क्यूंकि वह हर एक जीव को पूजनीय मान कर ईश्वर की आराधना करता है, चाहे जाने में या अनजाने में।

जब ब्राउनी की माला को फूल पत्तियों से सजाकर ले जाया जा रहा था तो आस पास वाले कहने लगे की यह किसकी अर्थी है। इस पर उनको मालूम हुआ की यह कुत्ते की अर्थी है और जब कुत्ते के मालिक से बात हुई तो पता लगा की कुत्ता यानी की ब्राउनी इंसानो से भी ज्यादा वफादार है जिस वजह से वह ब्राउनी को बहुत प्यार करते थे। ब्राउनी के जाने का गम उनके पूरे परिवार को है। वह शिप ब्रीड का कुत्ता था। जिसको उन्होंने भोपाल से खरीदा था। जहाँ पर ब्राउनी को दफनाया गया है वहाँ पर अनेकों प्रकार के पेड़ पौधे भी लगाए गए हैं। यहाँ पर ब्राउनी का स्मारक भी बनवाया जाएगा।