डेस्क : जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी (JDU, BJP and LJP) के संयुक्त गठबंधन के नेता बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) को लेकर लगातार दावा कर रहे हैं , वे एकजुट हैं । सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की लीडरशिप में जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी (JDU, BJP and LJP) इकट्ठे चुनाव मैदान में उतरेगी । चिराग पासवान के तल्ख तेवर के बीच लोजपा की 42 सीटों पर दावेदारी से टेंशन बढ़ गई है ।राजनीतिक गलियारों में ये भी चर्चा है कि NDA का कौन सा घटक दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, इसको लेकर एक तरह से सहमति बन गई है । 110, 100 और 33 के फॉर्मूले पर बात आगे बढ़ी है ।
इस फॉर्मूले के तहत सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड (JDU) 110 सीटों पर, भारतीय जनता पार्टी 100 सीट और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) 33 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है । एनडीए की बातचीत पूरी होने के साथ ही तीनों पार्टियों की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा ।
2015 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो बीजेपी और जेडीयू का साथ चुनाव लड़ने का लंबा अनुभव रहा है । इस दौरान जेडीयू हमेशा बड़े भाई की भूमिका में रही है । साल 2005 और 2010 में जेडीयू 142 और बीजेपी 101 सीटों पर चुनाव लड़ी थी । वर्ष 2005 में जेडीयू ने जहां 88 सीटें जीती थीं, वहीं 2010 में 115 सीटों पर कब्जा किया था । भाजपा ने 2005 में 55 और 2010 में 91 सीटों पर जीत हांसिल की थी. दोनों पार्टियों ने कुल 206 सीटें जीत कर रिकॉर्ड कायम कर दिया था ।
दीगर बात ये है की 2015 में सीएम रहे नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की जेडीयू ने राजद और कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा था । 2015 में जदयू 100, राजद 100, कांग्रेस 40 और एनसीपी 3 का फॉर्मूला महागठबंधन ने तय किया था । लेकिन तारिक अनवर के खुद को महागठबंधन से अलग करने के बाद बनी स्थिति में तीनों दलों के पास एक-एक सीट और चली गई थी । तब जदयू ने 101 सीट पर प्रत्याशी दिए और 71 सीटों पर जीत दर्ज की ।