डेस्क : रामविलास पासवान काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे उन्होंने अपने जीवन के 5 दशक राजनीति में ही बिताए रामविलास पासवान ने 1969 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करी थी तब वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर खगड़िया की अलौली विधान सभा सीट पर उपचुनाव जीता था। उस समय पर उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता को तकरीबन 700 वोटों से हरा दिया था। उनकी उम्र तब 23 वर्ष की ही थी।
उन्होंने 22 साल की उम्र में सिविल सर्विसेज परीक्षा पास कर ली थी और वह अपने गांव में एक आदमी को लोगो के झुण्ड से पिटता देखा था। वह आदमी दलित समाज का था और उस पर यह आरोप था कि उसने 150 रुपए नहीं लौटाए हैं। उस दौरान पासवान की नौकरी पुलिस महकमे में हो चुकी थी। उस समय पर उन्होंने पुलिस का रौब दिखाकर उस आदमी को भी बचाया था और दबंग के कागज भी फाड़ दिए थे। इस घटना से पासवान लोगों में काफी ज्यादा लोकप्रिय हो गए थे और उनकी लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ गई जिससे उन्हें चुनाव लड़ने का हौसला मिला फिर उन्होंने वह सरकारी नौकरी छोड़ दी और राजनीति के रास्ते पर चल पड़े उसके बाद पासवान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विधायक बनने के 8 साल बाद वह पासवान ने जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब पासवान को 4.25 लाख ज्यादा वोट से जीते थ। उस समय पर यह पासवान का वर्ल्ड रिकॉर्ड था। रामविलास पासवान ने 1989 में हाजीपुर से फिर जीत दर्ज की थी। इस बार उन्हें 5.05 लाख वोट मिले थे। इस जीत से उन्होंने अपना पुराना रिकॉर्ड ही तोड़ डाला था। राम विलास पासवान ने साल 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी बनाई थी। कहा जाता है की इससे पहले वो बिहार में दलित सेना नाम का संगठन चला रहे थे। राम विलास पासवान ने 2019 लोक सभा चुनाव से पहले यह कमान अपने बेटे के हाथो में दे दी थी और कह दिया था चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके बाद वह राज्य सभा में शामिल हो गए थे।