बिहार की जनता पर चल गया मोदी का जादू, NDA में मिली बढ़त के मुख्य कारण

डेस्क : बिहार में जिस तरीके से चुनावी नांव हिलोरे खा रही है ऐसे में फिर से अब काँटा फिर से नीतीश कुमार की ओर आ कर टिक गया है। तेजस्वी यादव के द्वारा की गई कड़ी मेहनत फिर से असफल नजर आ रही है ऐसे में राजद के खेमे में मात्र 100 सीटों पर ही बात सिमटती दिख रही है वही एनडीए के हित में आंकड़ा 120 के पार जा चुका है। अब ऐसा लग रहा है कि बिहार में नीतीश जी का शासन वापस आ रहा है।

अचानक से उठी एनडीए की हवा पर क्या सच में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ है। आंकड़ों को देखकर तो यही लगता है क्योंकि जिस तरीके से उनकी लोकप्रियता बिहार में छाई हुई है उस तरह से वोटों की गिनती अभी एनडीए के खाते में जाती नजर आ रही है। बिहार को इस बार गैस कनेक्शन का वितरण और प्रधानमंत्री योजना का लाभ मिलने की वजह से वोट एनडीए के खाते में जाते नजर आ रहे हैं। साथ ही महिलाओं ने इस बार बिहार के चुनावों को काफी प्रसिद्ध किया हुआ है। ऐसा नहीं है कि बिहार की जनता को नीतीश कुमार पसंद नहीं है बल्कि उनके ओर केंद्र के द्वारा किए गए काम जैसे कि बिजली को घर घर ले जाना और सड़क हर गांव तक पहुंचाने में काफी ज्यादा योगदान है। परंतु दूसरी ओर शराबबंदी और भ्रष्टाचारी के नाम पर जिस तरह से मोर्चे फेल हुए हैं उससे जनता नाखुश है। लेकिन रुझानों का आंकड़ा किस तरफ आकर रुकता है वह तो 3 घंटे बाद ही पता चल पाएगा। परंतु मोदी जी के नाम पर वोट बटोरने में पार्टियां हमेशा से ही सफल रहे हैं।

ऐसे में बिहार की जनता को अभी भी जंगलराज का डर है जहां पर 15 साल(1990 -2005) तक कानूनी व्यवस्था बहुत ढीली रही थी जिसमें भ्रष्टाचारी नेताओं ने अपना कब्जा जमा रखा था और साथ ही लालू राबड़ी के राज में जनता ने अपनी फजीहत कर रखी थी जिसमें कानूनी व्यवस्था से लेकर शिक्षा व्यवस्था तक सब बेहाल था ऐसे में जनता शायद वह दौर याद करके घबराती है और पुराने समय का दोहराना नहीं चाहती। जिस तरह से धीरे-धीरे बिहार में इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ता जा रहा है उस लिहाज से उद्योग भी आगे की ओर बढ़ रहे हैं और रोजगार भी बिहार राज्य में बढ़ सकते हैं ऐसे में जनता को पूरी उम्मीद है कि युवा पीढ़ी एक सही दिशा की ओर जा रही है।