डेस्क : भाजपा के मंडल अध्यक्षों ने राज्य के 30 पार्टी विधायकों का टिकट काटने की सिफारिश पेश करी है इस टिकट काटने की सिफारिश का नेतृत्व कौन करे, यह सबके सामने चुनौती खड़ी है। मंडल अध्यक्षों का कहना है कि अगर यह 30 विधायक फिर से उम्मीदवार बनाए गए तो उनकी जीत मुश्किल में पड़ सकती है इसी के साथ पार्टी की मंडल इकाई ने भी उनको टिकट ना देने की सलाह दी है। फिलहाल एनडीए की तरफ से सीटों का औपचारिक ऐलान अभी नहीं हुआ है परंतु भीतर ही भीतर यह तय हो गया है कि किस सीट पर कौन उम्मीदवार खड़ा होगा।इसी मसले पर पार्टी ने मंडल अध्यक्षों से उम्मीदवारों के मसले पर राय मांगी है। सभी मंडल अध्यक्षों ने उम्मीदवारों का चयन अपनी राय के अनुसार दिया है। बिहार में भाजपा के 45 संगठनात्मक जिले के अंतर्गत लगभग 1100 मंडल अध्यक्ष मौजूद है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा के मौजूदा 53 में से 30 से भी ज्यादा विधायकों के खिलाफ मंडल अध्यक्षों ने अपनी राय पेश करी है और साथ ही कहा है कि अगर दल को पक्की जीत चाहिए तो चेहरा बदला जाना बेहद जरूरी है हालांकि मंडल अध्यक्षों ने यह भी कहा है कि मत देने वालों में दल के प्रति निष्ठा बरकरार रहनी चाहिए। इस बार पार्टी की जीत पक्की है लेकिन उम्मीदवारों को लेकर काफी ज्यादा लोगों के बीच नाराजगी बनी हुई है यह नाराजगी चुनाव पर कहीं भारी न पड़ जाए इसकी चिंता भी जाहिर तौर से पार्टी में बनी हुई है परंतु इसके लिए यह जरूरी है कि उम्मीदवार बदलकर नए चेहरों को मौका दिया जाये।
भाजपा के कई मौजूदा विधायकों की तरफ से विरोध जाहिर करा जा रहा है साथ ही में लखीसराय के विधायक एवं श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ प्रदेश में भाजपा कार्यालय में जमकर विरोध भी हुआ था।इसी के साथ यह भी मांग उठी थी कि दानापुर के उम्मीदवार को बदला जाए और इसको लेकर कार्यकर्ताओं ने प्रदेश कार्यालय में भी जमकर विरोध प्रदर्शित करा था। बांकीपुर का भी कुछ ऐसा ही हाल है जहां पर नेता अपने बड़े बैनर पोस्टर लगवा कर खुद को ही उम्मीदवार बनाने पर तुले हुए हैं। बोचहां में भी जमकर नाराजगी एवं विरोध के स्वर उठ रहे हैं।