डेस्क : विधानसभा चुनावों के लेकर बिहार में सीट बंटवारे पर राजद और कांग्रेस के बीच जोर आजमाइश जारी है। तालमेल को लेकर राजद के रुख से नाराज कांग्रेस तो है लेकिन गठबंधन तोड़ने के मूड में भी नहीं हैं। लिहाजा अब पूरा मामला आलाकमान के पास चला गया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जोर आजमाइश गठबंधन टूटने की हद तक नहीं पहुंचेगी। जल्दी ही कांग्रेस आलाकमान और राजद नेता तेजस्वी यादव के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हो सकती है ऐसा कयास लगाया जा रहा है। वही इस बीच पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के पैनल को अंतिम रूप दे दिया है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा और विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडे के साथ इस बाबत लंबी बैठक भी की है। वरिष्ठ नेता तारिक अनवर के अनुसार दोनों पार्टियों के बीच बातचीत चल रही है। राजद और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगे। जानकारी के मुताबिक पार्टी किसी वर्तमान विधायक का सामान्य तौर पर टिकट काटने के मूड में नहीं है। नये सीटों पर भी उम्मीदवारों की सूची में चयन किया जा रहा है। चूँकि अब महागठबंधन से जीतन राम मांझी और कुशवाहा अलग हो चुके है ऐसे में हो रहे लगातार बैठकों के बाद भी कोई हल निकलता न देख कांग्रेस नेताओं की बेचैनी का बढ़ना स्वाभाविक है।
दरअसल, सीट बंटवारे को लेकर राजद और कांग्रेस दोनों एक-दूसरे पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस कम से कम 75 सीट की मांग कर रही है, जबकि राजद 60 सीट देने के लिए तैयार है। पार्टी की दलील है कि हम पार्टी और आरएलएसपी के महागठबंधन से बाहर जाने के बाद उसकी दावेदारी बढ़ी है। इसलिए कांग्रेस को अधिक सीट मिलनी चाहिए।ख़बरों की माने तो अगर आरजेडी ने जल्दी से जल्द कोई फैसला इस बाबत नहीं लिया तो कांग्रेस के नेतृत्व में धर्मनिरपेक्ष मोर्चे का गठन हो सकता है।