डेस्क : जैसा कि हम सब इस बात से वाकिफ हैं कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजप्रताप यादव और उनकी पत्नी का तलाक प्रकरण पूरा हो चुका है और ऐसे में लालू प्रसाद और चंद्रिका प्रसाद राय के परिवारों में काफी ज्यादा दूरियां बन गई है। तब से यह खबर आ रही थी कि लालू अपने समधी चंद्रिका राय के खिलाफ परसा में उनकी भतीजी करिश्मा राय को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारेंगे,
यह भी अटकलें लगाई जा रही थी कि चंद्रिका अपनी बेटी ऐश्वर्या को जेडीयू के टिकट पर तेज प्रताप यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा सकते हैं। परंतु अभी ऐसा नहीं हो रहा है क्योंकि दोनों परिवारों कि दोस्ती कहीं ना कहीं बची हुई है। लालू प्रसाद यादव ने अपनी इस परिवारिक कूटता में नरमी दिखाई है और उन्होंने अपने समधी की भतीजी करिश्मा राय को अभी तक बैरक में बिठा रखा है। इस साल 2 जुलाई को आरजेडी की सदस्यता लेने के लिए करिश्मा ने दावा ठोका था कि वह अपने चाचा के निर्देश पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। पिछले चुनावों को ध्यान में रखते हुए जो आंकड़ा जारी किया गया है, वह कहता है कि चंद्रिका ने छोटे लाल को 43 हजार से अधिक मतों से परास्त किया था। 2010 में जदयू के टिकट पर छोटे लाल ने 1990 से जीत हासिल की थी इसीके साथ चंद्रिका की जीत के सिलसिले पर ब्रेक लग गया था।
यह बात साफ हो गई है कि महीने भर पहले तक पारिवारिक झगड़े की वजह से दोनों अलग-अलग मोड़ पर खड़े थे और उस मोड़ से लौटना असंभव लग रहा था परंतु अब यह तय हो गया है कि चुनाव के समय लालू और चन्द्रिका के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंदिता भले दिख जाए लेकिन आर-पार की कूटनीति नहीं दिखेंगी। लालू प्रसाद यादव के सकारात्मक रुख के बाद चंद्रिका की इस नई पार्टी जेडीयू ने भी दो करीबी रिश्तेदारों के बीच किसी तरह की तनातनी एवं मुकाबले के आसार नहीं पनपने दिया है पहले यह बताया जा रहा था कि राजद के एकमात्र स्टार प्रचारक तेजस्वी यादव और जेडीयू उनके क्षेत्र राघोपुर में ही घेर कर रखने की रणनीति बनाएंगे, परंतु इस दौरान जेडीयू ने अपने आप को ही मैदान से पीछे हटा लिया।