Dinesh lal Yadav : बचपन में ही उठ गया पिता का साया, पैसा कमाने मीलों चलते थे पैदल, गरीबी में बीता ‘निरहुआ’ का लाइफ..

Dinesh lal Yadav: भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सुपर स्टार दिनेश लाल निरहुआ आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। इनका पूरा नाम दिनेश लाल यादव है। निरहुआ गायक एक्टर के साथ साथ एक जिम्मेदार सांसद भी हैं। निरहुआ ने इस कामयाबी को बड़े ही मेहनत से पाया है। इसके पीछे इनका काफी संघर्ष रहा है, जिसे लोग शायद नहीं जानते हैं। निरहुआ एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं लेकिन आज उनके पास हर सुख सुविधा मौजूद है। तो आइए इनके संघर्ष को करीब से देखते हैं।

निरहुआ ने अपनी पढ़ाई कोलकाता से की, जहाँ उनके पिता 3700 रुपये महीना कमाते थे। इतने पैसों से वह अपने परिवार वालों का पेट भरता था। छोटे से गांव टंडवा से मुंबई तक का सफर उनके लिए आसान नहीं था। जब वे 19 वर्ष के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया। ऐसे में बड़े होने के कारण घर की सारी जिम्मेदारी एक्टर के सिर आ गई. उनकी अच्छी बात यह रही है कि उन्हें गायन विरासत में मिला है।

ऐसे में उनके पास पैसे कमाने का कोई जरिया नहीं था इसलिए निरहुआ ने वह रास्ता चुना जिस पर उनके बड़े भाई पहले से ही चल रहे थे। उनका सहयोग मिला और वे भी धन कमाने के लिए संघर्ष करने लगे। लेकिन ये इतना आसान भी नहीं था। क्योंकि वह समय घोर गरीबी के दिन थे। उसके पास साइकिल भी नहीं थी।

निरहुआ में अपना पहला एल्बम ‘बुधवा में दम बा’ गाया। उनका यह कैसेट बहुत अच्छा बजाया गया था। फिर क्या था, धीरे-धीरे लोग उन्हें जानने लगे। इसके बाद उनका दूसरा एलबम ‘निरहुआ सातल रहे’ 2003 में रिलीज हुआ। उन्होंने खुद इसे 20 हजार में तैयार किया था।

इसके बाद निरहुआ इस कैसेट को लेकर टी-सीरीज के ऑफिस गए और वहां इसके मालिक से मिले। कैसेट दिखाया। कैसेट देकर वहां गया था और 3-4 महीने हो गए थे, अभिनेता कैसेट के बारे में भूल गया था। फिर एक दिन स्टेज शो के लिए जाते समय मैंने देखा कि बहुत भीड़ है। उन्हें नहीं पता था कि यह उनके लिए है। यहां उन्हें रात भर ‘निरहुआ सातल रहे’ गाना पड़ता था। लोग बस इस गाने की डिमांड कर रहे थे। यहीं से उनका नाम निरहुआ पड़ा।

वहीं, फिल्मों में निरहुआ की किस्मत तब बदली जब वह ‘निरहुआ रिक्शावाला’ में नजर आए। इसमें उनकी और पाखी हेगड़े की जोड़ी को काफी पसंद किया गया था। लोगों से खूब वाहवाही बटोरी। वहां से वे निरहुआ रिक्शा चालक बने और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।