गाय के गोबर से जैविक गमला निर्माण कर बेगूसराय के युवा किसान राकेश ने पेश की मिसाल

बेगूसराय : आपको सुनाई दे कि सब गुर गोबर हो गया है तो आप यही समझेंगे की कुछ खराब हो गया हो, परंतु बेगूसराय जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत जिनेदपुर पंचायत के गोविंदपुर गाँव में उक्त मुहावरा सुनाई दे, या कुछ गुर गोबर भी हो जाये तो वह उपयोग में आ जायेगा। चौकियें मत क्योंकि इस गाँव के युवा किसान राकेश अपने उद्दम और मेहनत से गोबर से जैविक गमला निर्माण शुरू कर सुर्खियां बटोर रहे हैं। कृषि को पेशा बनाने की सोच रखने बाले युवाओं के लिए उदाहरण बने युवा प्रगतिशील किसान राकेश कुमार बेगूसराय के सदर प्रखंड अंतर्गत जिनेदपुर पंचायत के गोविंदपुर गाँव के निवासी है।

ये पहले कंस्ट्रक्शन लाइन में जुड़े रोजगार में दूसरे राज्य में काम करते थे। फिर साल 2017 में अपने गाँव लौट कर कृषि और पशुपालन से जुड़ गए । आगे चलकर उक्त रोजगार से जुड़े व्यवसाय की भी शुरुआत की और अभी करीब डेढ़ दर्जन पशुधन का पालन कर रहे हैं। साल 2020 के नबंवर माह से गाय के गोबर से जैविक गमला बनाने का काम शुरू किए है। बेगूसराय के युवा किसान राकेश कुमार इस सोच को सार्थक करने में लगे हैं, कि पशुपालन में गाय के दूध से जैसे आमदनी होती उसको गोबर के आमदनी से दोगुना किया जा सकता है। राकेश कुमार ने बातचीत में बताया कि शास्त्र पुराण में भी गाय के हर चीज के महत्वपूर्ण बताया गया है। जितना सेवा करेंगे उतना मेवा प्राप्त होगा । जैसे गाय के दूध से सौ आइटम बनता है मैं गाय के गोबर से भी सौ आइटम बनाने के प्रयास में लगा हुआ हूँ।

गुजरात से लाये मशीन, गोबर के साथ चार प्रकार के अन्य सामग्रियों का होता है प्रयोग,तब बनता है गमला : गोबर के बने गमले के निर्माण में अन्य सहायक सामग्री मिट्टी 10 % , लकड़ी का बुरादा 10 %, निम का खल्ली 2 %, चुना 2% के साथ गोबर का 76 % मात्रा मिलाकर रॉ मेटेरियल तैयार किया जाता है। एक क्विंटल मेटेरियल में 65 पीस गमला बनता है। कोरोनाकाल में लगे देशव्यापी लॉक डाउन के बाद राकेश कुमार के मन में उपजे विचारों ने उन्हें कुछ नया करने की जिद गुजरात के अहमदाबाद तक खींच ले गया । और वे वहां से जैविक गमला बनाने की 25 हजार में मशीन खरीद लाया। उन्होंने बताया कि कंस्ट्रक्शन लाइन में काम करने का अनुभव यहां काम आया और मशीन चलाना सीखने में ज्यादा समय नहीं लगा । जिसके बाद मैंने यहां ग्रुप के कई लोगों को मशीन चलाने की प्रशिक्षण भी दी।

नवंबर माह के शुरुआती दौर से शुरू हुए गमले निर्माण की प्रक्रिया के बाद पहली खेप करीब चार हजार के आसपास तैयार है। किसान राकेश कुमार ने बताया की इस गमले को बिना रंग पेंट के हम मामूली कीमत पन्द्रह रुपये में अभी बेच रहे हैं, थोड़ा रंग रोगन होने से कीमत में बृद्धि हो सकती है। वाबजूद बाजार से किफायती दर पर यह गमला लोगों को मिल सकेगा। तैयार होने के बाद यह जैविक गमला बाजार के अन्य गमलों की भांति गिरने पर न टूटता है न ही फूटता है। हम चाहते हैं कि अधिकांश लोग इसे ऑर्गेनिक गमले को अपने घर, आंगनों और छतों पर रखकर इसमें सब्जी और फूल पत्ती उगा सकते हैं। जिससे बाजार के कीटनाशक युक्त सब्जियों से लोगों का बचाव हो सके। और लोग जहर मुक्त सब्जी खुद से उगा कर खा सकते हैं।

दो साल पहले बने थे 25 किसानों के ग्रुप के अध्यक्ष , सभी के आय को दोगुना करने के प्रयास में जुटे : लगनशील व्यक्ति मेहनत के बल पर भीड़ में भी अपनी अलग पहचान बना ही लेता है, ऐसा ही राकेश के साथ भी हुआ । वे अपने ही पंचायत जिनेदपुर में साल 2018 से 25 किसानों के ग्रुप माँ वैष्णवी किसान विकास ग्रुप के अध्यक्ष बने । उक्त ग्रुप कृषि के क्षेत्र में काम करने बाली संस्था आत्मा से रजिस्टर्ड है। जिसमे सभी किसानों को भिन्न भिन्न प्रकार के प्रशिक्षण और परिभर्मन कराया जाता है। युवा किसान राकेश ने बताया कि हमारा प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को जागरूक कर जैविक खेती से जोर सकें। जिससे जैविक खाद के निर्माण और उपयोग को भी बढ़ावा मिल सके । जिससे कृषि से जुड़े लोगों को आय दुगुनी हो सके और हमारे गाँव के आंगनों में भी खुशहाली हो । जैविक गमले के निर्माण कार्य प्रारम्भ होने से अब किसानों को उनके गोबर का भी उचित मूल्य मिल पायेगा इसको लेकर गौ पालन करने के लिए सभी किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, किसान जब जागरूक होंगे तो उन किसानों के भी गोबर को एकत्रित किया जाएगा । जिसके बाद आने बाले समय में गोबर के दीप , मूर्ति व अगरबत्ती जैसे चीजों का उत्पादन करने का मशीन लगाया जाएगा ।