मजदूरों के लिए चली श्रमिक स्पेशल ट्रेनें, जानें- यात्रा के नियम और कानून, किसे अनुमति…

डेस्क : देशव्यापी लॉकडाउन पूरा अप्रैल के महीने तो चला ही पर अब यह भी खबर आ गई है कि वह 17 मई तक चलेगा, पर इसी बीच रेलवे की तरफ से अच्छी खबर यह सुनने में आ रही है कि सरकार ने जितने भी दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर, छात्र और पर्यटक हैं उनको निकालने के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। इनमें से सबसे पहले ट्रेन शुक्रवार को सुबह हैदराबाद से झारखंड के हटिया स्टेशन के लिए चलेगी उसके बाद अन्य गंतव्य के लिए अलग से 5 ट्रेनें चलेंगी, जिन भी राज्यों के लिए ट्रेनें चलनी हैं उनके नाम है बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश और उड़ीसा।

यह ट्रेनें राज्यों की आपसी सहमति के बाद ही चलवाई जा रही हैं। पंजाब महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों की ओर से यह मांग उठ रही थी कि लंबी दूरी को देखते हुए विशेष ट्रेनें चलवाये जाना अति आवश्यक है और पिछले ही कुछ दिनों से इस पर राजनीति भी चालू हो गई थी। इसके तुरंत बाद ही गृह मंत्रालय के जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के तहत भारतीय रेलवे में शुक्रवार को प्रवासी कामगारों, तीर्थ यात्रियों, छात्रों, पर्यटकों और अन्य व्यक्तियों को स्थानांतरित करने के लिए अहम फैसला लिया और अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस के दिन विशेष श्रमिक ट्रेने चालू करने का निर्णय भी लिया, अब इस लोकडाउन में जितने भी लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं रेलवे उनको यह सहूलियत देने जा रहा है कि एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाएं।

सिर्फ और सिर्फ स्वस्थ व्यक्ति ही कर सकता है यात्रा यह बात रेलवे और राज्य सरकारें साफ कर चुकी है कि विशेष ट्रेनों में वही लोग सफर करेंगे जो शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं इन ट्रेनों में सवार होने से पहले आवागमन करने वाले यात्रियों की चेकिंग करी जाएगी यह चेकिंग राज्यों द्वारा करी जाएगी और जो भी इसमें स्वस्थ पाया जाएगा वही यात्रा करने के लायक समझा जाएगा जब राज्य सरकार इन लोगों का एक समूह बना लेगी तो उसके बाद इस चीज को लागू कर दिया जाएगा कि वह सारा का सारा समय ट्रेन में जा सकता है।

हर एक व्यक्ति को अपने फेस पर मास्क लगाना अनिवार्य होगा और यात्रियों को मूल स्टेशन पर भेजने वाले राज्यों द्वारा खाने-पीने का सामान भी उपलब्ध करवाया जाएगा, लंबी रेल मार्ग की यात्रा के समय केवल भोजन ही प्रदान कर आ जाएगा जबकि गंतव्य पर पहुंचने के पश्चात भोजन और अन्य सुविधाएं भी दी जाएंगी और इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।यह जितने भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रही है इनके अंदर कुल 72 सीटें मौजूद रहेंगी और 54 सीटों पर लोग बैठे हुए होंगे वह एक दूसरे से काफी दूरी बनाकर सफर तय करेंगे जिन भी प्रमुख रूट पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने का फैसला हुआ है उसमें लिंगमपल्ली से हटिया अलुवा से भुवनेश्वर नासिक से भोपाल नासिक से लखनऊ जयपुर से पटना और कोटा से हटिया प्रमुख दर्जे पर हैं।

पर अभी भी इस पर विचार-विमर्श बाकी है कि किस खास राज्य में अलग स्थान पर रह रहे प्रवासियों को लाने की जिम्मेदारी किस पर है जैसे अहमदाबाद से बिहार के लिए ट्रेन चलेगी तो कक्ष में रह रहे प्रवासियों को अहमदाबाद तक कौन लेकर आएगा इसके बाद महाराष्ट्र गुजरात पंजाब जैसे बड़े राज्यों में एक से ज्यादा शहरों में प्रवासियों का डेरा जमा है छोटे-छोटे शहरों में जो लोग रह रहे हैं उनको स्टेशन तक लाने का जिम्मा किस पर होगा इस पर राज्यों की सहमति होनी अभी बाकी है इतनी बड़ी संख्या में बस का इंतजाम करने के लिए भी राज्य को कड़ा परिश्रम करना पड़ सकता है।