डेस्क : बेगूसराय से आत्मीय लगाव रखने वाले डॉ भोला सिंह जी की पुण्यतिथि पर समस्त बेगूसराय उन्हें श्रंद्धाजलि अर्पित कर रहा है। विगत तीन वर्ष पूर्व आज के ही दिन उनका निधन हुआ था। भोला बाबू के नाम से विख्यात भोला सिंह जी की मृत्यु बेगूसराय की राजनीति में एक युग का अंत रही। डॉ भोला सिंह अपनी वाणी,भाषण शैली और शब्दों से खेलने की कला में माहिर थे। कहा जाता है कि उनका भाषण संसद को हिला कर रख देता था। बेगूसराय की आवाज को जिस तरह वो संसद में रखते थे उससे साफ पता चलता है कि बेगूसराय उनके रोम रोम में बसता था।
जब कि थी कन्हैया की तुलना शहीद भगत सिंह से
हर दल के लोग, आम जन भोला सिंह का काफी सम्मान करते थे और आज भी सबके दिलों में भोला बाबू जीवित हैं। पर कई बार अपनी भाषणों की वजह से ही बवाल का सामना करना पड़ा। इसी से एक वाकया है जब भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व राज्यपाल कैलाश पति मिश्र की पांचवीं पुण्यतिथि पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए भोला बाबू ने जे एन यू पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की तुलना क्रांतिकारी शाहिद भगत सिंह से कर दी थी। इस के बाद काफी हंगामा हो गया। कार्यक्रम में मौजूद बी जे पी के कार्यकर्ताओं ने ही नारेबाजी शुरू कर दी। नतीजन भोला बाबू को बीच मे ही जाना पड़ा। बी जे पी के एम एल सी रजनीश कुमार ने भी इस बयान की कड़ी निंदा की थी। इसके बाबजूद भी भोला बाबू अपनी बात पर अडिग रहे।
कार्यक्रम के बाद में भी भोला बाबु ने कहा कि अगर कन्हैया देशद्रोही है तो उसे घोषित किया जाए। उसपर कार्यवाही की जाए। जब दिल्ली पुलिस से लेकर सी बी आई ने कन्हैया मामले में उंसके खिलाफ जांच और चार्जशीट में देशद्रोह की दफ़ा नही लगाई तो उसे देशद्रोही कैसे कह जा सकता है।
अपनी पार्टी की योजनाओं पर भी सवाल उठाने से कतराते नहीं थे
ये वाकया सिर्फ एक नहीं है जब भोला बाबु ने ऐसा कूछ पार्टी से इतर जाकर कहा। भोला बाबू अक्सर अपनी ही पार्टी, उसकी योजनाओं और शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाते रहते थे। लोकसभा में एक बार प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजना स्मार्ट सिटी को लेकर पी एम की उपस्थिति में ही भोला बाबू ने बेबाक हो कर कहा था कि इस योजना से सिर्फ विकसित शहरों का ही विकास होगा, पिछड़े शहर पिछड़े ही रह जाएंगे और विषमताओं का पहाड़ खड़ा हो जाएगा।
एक बेबाक़ व्यक्तित्व जो अपने राजनीतिक जीवन में हज़ारो कहानियां समाविष्ट किये हुए है। जो अपनी पार्टी का विरोध करने पर भी कभी कतराते नहीं थे। ऐसे ही थे जनमानस के लोकप्रिय “भोला बाबू”।