मंझौल :अतिक्रमण बना डेथ वारंट सड़क हादसा में 7 जनवरी से 70 दिन में गयी 7 जानें, सीओ साहेब की वेवशी का क्या कहना

मंझौल : बेगूसराय जिला के उत्तरी बेगूसराय का जंक्शन पॉइंट मंझौल इन दिनों अतिक्रमण की जद में है।अतिक्रमण ऐसा की अनुमंडल मुख्यालय के 1 किलोमीटर के रेडियस में होने के बावजूद मंझौल में बस स्टैंड, सत्यारा चौक, एस एच 55 पर फैले अतिक्रमण को हटाने में प्रशासनिक स्तर के पदाधिकारियों के भी पसीने छूट रहे हैं। अतिक्रमण के कारण पिछले 70 दिनों में 7 जानें सड़क हादसा के भेंट चढ़ चुकी है। लेकिन पदाधिकारी कुम्भकर्ण के नींद सोये हुए हैं, सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर राजनीतिक कार्यकर्ता तक इतनी बड़ी समस्या से मुँह फेरे बैठे हुए हैं। कारण जो भी हो लेकिन अतिक्रमणकारियों की पौ बारह हो रही है और आये दिन सड़क हादसा में लोगों की जानें जा रही है।

अतिक्रमण के कारण मंझौल में सड़क हादसा का ग्राफ कहता है बीते तीन महीना के अंदर औसतन हर 10 दिन में 1 व्यक्ति की मृत्यु सड़क हादसा में हो रही है। वही दर्जनों गम्भीर रूप से जख्मी और चोटिल हो रहे हैं। कई मामले में तो प्रशासनिक महकमे में जानकारी भी नहीं हो पाती है। आंकड़ा के लिहाज से अनुमंडल 7 जनवरी 2020 से मुख्यालय में 70 दिन के भीतर 7 जानें सड़क पर हुए हादसे की भेंट चढ़ी है।

नीचे देखें बीते दिनों हुए हादसे में कितनी गई जानें

  1. 7 जनवरी 2020 को नित्यानंद चौक के समीप अज्ञात बोलेरो के धक्के से तीन युवक की मौत
  2. 1 मार्च 2020 को बस स्टैंड के समीप ट्रेक्टर के धक्के से माँ बेटी की मौत हुई।
  3. 9 मार्च को ई रिक्सा और टाटा 709 के आमने सामने टक्कर में लालकृष्ण का बेटा बेटी और उसके पत्नी की मृत्यु हो गयी।

वही रोजाना मामूली रूप से चोटिल और घायल होने बाले की फेहरिस्त भी लम्बी होती जा रही है। ऐसा नहीं है कि प्रशासनिक स्तर पर अतिक्रमण खाली करवाने को लेकर पहल नहीं हुए , पहल तो हुए लेकिन सुस्ती और गैर जिम्मेदाराना रवैये से अतिक्रमण खाली नहीं हो पा रही है।

कैसे शुरू हुआ अतिक्रमण हटाने का कवायद: विकराल समस्या बन चुका अतिक्रमण खाली करबाने को लेकर अनुमंडलाधिकारी मंझौल दुर्गेश कुमार ने 23 जनवरी को पत्र निर्गत कर सीओ चेरियाबरियारपुर और ओपी अध्यक्ष मंझौल को एक सप्ताह के भीतर अतिक्रमण खाली करने की बात कही गई थी। एक सप्ताह के भीतर अतिक्रमण खाली करवाने की बात दूर गयी करीब 41 दिन बाद 4 मार्च को अंचलाधिकारी के आदेश पर माइकिंग से अतिक्रमणकारियों को खाली करने की सूचना दी गयी थी। खाली नहीं करने पर 14 मार्च को पुलिस जवान के द्वारा बलपूर्वक खाली करबाने और समान जप्त करने की बात कही गयी थी। लेकिन 14 मार्च शनिवार को मंझौल की सड़कों पर ऐसी किसी प्रकार की हलचल नहीं दिखी।

अनुमंडलाधिकारी के पत्र निर्गत हुए 50 दिन बीत गए लेकिन अतिक्रमण खाली न होना अपने आप में बहुत बड़ा सवाल बन चुका है। ग़ौरतलब बात यह है कि सीओ साहेब मीडिया को इस बात पर जबाब देने को लेकर फोन तक नहीं उठाते।