डेस्क : आए दिन देश के युवाओं द्वारा सिविल सर्विस यानी यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में क्रूज बढ़ता ही जा रहा है। अगर आप भी उन्हीं युवा में से एक हैं तो आप शायद विकास द्विव्यकीर्ति Dr Vikas Divyakirti को जरूर जानते होंगे। क्योंकि हर यूपीएससी के अभ्यर्थी इनके वीडियो से एक्सपायर होते रहते हैं। ऐसे में आज आप लोगों को इस आर्टिकल के माध्यम से इनके बीते बदहाल जीवन के बारे में बताएंगे। जिसे जानकर आप भी मोटिवेट हो जाएंगे।
जी हां..विकास द्विव्यकीर्ति Dr Vikas Divyakirti कभी सेल्समैन बनकर दिल्ली की गलियों में कैलकुलेटर बेचते थे। और अपने भाई के साथ मिलकर कभी प्रिंटिंग का काम भी करते थे। आज ये युवाओं को IAS-IPS अफसर बना रहे हैं। यह UPSC की तैयारी करने वाले विधार्थीयों के बीच बहुत ही लोकप्रिय हैं। इनके पढ़ाने का और समझाने का अंदाज काफी अलग है. इनका सरल और मजाकिया अंदाज ही इन्हें बाकी शिक्षको से अलग बनाता है। IAS-IPS अफसर की तैयारी करने वाले विधार्थी न सिर्फ विकास द्विव्यकीर्ति के पढ़ाने के अंदाज बल्कि इनकी शख्सियत के भी अनुगामी हैं, पंरतु इनकी निजी जिंदगी के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। अपनी निजी जिंदगी की कहानी स्वंय विकास द्विव्यकीर्ति ने एक इंटरव्यू में बयां किया था।
यह मूलत पंजाब के रहने वाले है डॉ. विकास दिव्यकीर्ति कहते हैं कि इंटरनेट पर जितना भी जानकारी उनके बारे में है वह गलत दी हुई है। क्योंकि उनका जन्म 1973 में हुआ था ना कि साल 1976 में। उन्होने साल 1996 में UPSC का पहला परीक्षा दिया था। 1976 में अगर जन्मे होते तो 20 की उम्र में UPSC की सिविल सेवा परीक्षा में कैसे बैठ पाते। इसके लिए कम से कम 21 साल उम्र होनी जरूरी है। इनकी UPSC जर्नी काफी रोमांचक थी। यह नहीं चाहते थे कि कोई भी जाने कि यह UPSC में कोशिश कर रहे हैं। 1996 में इन्होने पहले प्रयास में ही प्री पास किया था उसके बाद मुख्य परीक्षा के लिए बंगलुरु का सेंटर चुना था। दिल्ली से फ्लाइट में बंगलुरु जाते थे और परीक्षा देने के बाद वापस दिल्ली लौट आते थे उसके बाद मुखर्जी नगर की सड़कों पर घूमने लगते थे ताकि साथ वाले ये लगे कि ये दिल्ली में घूम रहे है। UPSC की परीक्षा नहीं दी होगी।
दृष्टि IAS की स्थापना करने वाले डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि पहले प्रयास में UPSC की सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद ही इन्हें वित्तीय संकट का सामना पड़ा था। लोगों से बहुत पैसे उधार ले रखे थे। ज्वाइनिंग करने से पहले उधारी वाले पैसे चुकाने के लिए उन्होने 24 साल की उम्र में ही UPSC अभ्यर्थियों को पढ़ाना शुरू कर दिया। इनके पिता रोहतक में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय कॉलेज में हिंदी के अध्यापक थे। इनकी माता हरियाणा के ही एक स्कूल में हिंदी पढ़ाती थीं। विकास दिव्यकीर्ति के दोनों भाइयों की शुरुआती शिक्षा भी उसी स्कूल में हुई है।
भिवानी से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद विकास दिव्यकीर्ति के पिता चाहते थे कि वे CM से भी बड़े नेता बनें। इसी वजह से उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मेंबर बन गये। पहले वर्ष की पढ़ाई पूरी होते ही ऐसा संकट आया कि इन्होंने DU के स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़ने से पीछे हटना पड गया। अपने छात्र जीवन में डिबेट और कविता जैसी चीजों में भी सक्रिय थे। हिस्ट्री ऑनर्स का पहला साल खत्म होने के बाद सेल्समैन की नौकरी करने लगे थे।, हालांकि इस काम में उनका ज्यादा दिन मन नही लगा और वह आगे बढ़ते हुए एक छोटे उद्यम की ओर बढ़े। डिबेटिंग से कुछ खर्चा निकालते हुए उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर प्रिंटिंग का काम शुरू किया था। अपने स्कूल के दिनों में ही विकास दिव्यकीर्ति राजनीति में सक्रिय हो गए फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज में स्नातक करने पहुंचे तो उस वक्त मंडल कमीशन को लेकर हुए आरक्षण के विरोधी में आंदोलन का हिस्सा बने।
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने BA , MA हिंदी, MA सोशियोलॉजी, मास कम्युनिकेशन, एलएलबी, मैनेजमेंट आदि की पढ़ाई पूरी की। वो भी अंग्रेजी माध्यम से। JRF क्लियर करने के बाद। हिंदी में PHD की। हालांकि ये नौ क्लास तक अंग्रेजी के विषय में फेल हुआ करते थे। पहले प्रयास में UPSC पास करने के बाद गृह मंत्रालय में नौकरी की। कुछ समय बाद वह छोड़ DU के कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया। उसके बाद IAS कोचिंग सेंटर दृष्टि की स्थापना की। फिर इन्हें अपनी जूनियर डॉ.तरुणा वर्मा से साल 1997 में शादी की।