फैसला : बालिका गृह कांड, बृजेश ठाकुर सहित 19 आरोपी दोषी

नई दिल्ली: अदालत ने 30 मार्च 2019 को ब्रजेश ठाकुर समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ बलात्कार और नाबालिगों के यौन शोषण का आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप तय किए थे। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर इस मामले को सात फरवरी, 2019 को बिहार के मुजफ्फरपुर की स्थानीय अदालत से दिल्ली के साकेत जिला अदालत परिसर की पॉक्सो अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था। मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में लड़कियों के साथ यौन शोषण और शारीरिक उत्पीड़न के मामले में NGO के मालिक ब्रजेश ठाकुर सहित 19 आरोपियों को दोषी ठहराया है, वहीं अदालत ने एक आरोपी को बरी कर दिया है. अदालत ने पॉक्सो एक्ट के तहत ये कार्रवाई करते हुए 18 अन्य को कई लड़कियों के यौन शोषण एवं शारीरिक उत्पीड़न का दोषी करार दिया है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ब्रजेश ठाकुर को पॉक्सो कानून के तहत लैंगिक हमला और सामूहिक बलात्कार का दोषी ठहराया। आश्रय गृह ब्रजेश ठाकुर द्वारा चलाया जा रहा था। इसके लिए मानव एवं समाज कल्याण विभाग से करोड़ों का फंड भी मिलता था अदालत ने इस मामले में दोषियों को सुनाई जाने वाली सजा पर दलीलों को सुनने के लिए 28 जनवरी की तारीख तय की है।

बालिका गृह कांड के उद्भेदन के बाद समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा की गयी थी कुर्सी

अदालत ने सीबीआई के वकील और मामले के 20 आरोपियों की अंतिम दलीलों के बाद 30 सितंबर, 2019 को फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में बिहार की समाज कल्याण मंत्री और बेगूसराय जिला के चेरियबरयारपुर विधानसभा से जद (यू) विधायक मंजू वर्मा को भी आलोचना का शिकार होना पड़ा था जब उनके पति के ब्रजेश ठाकुर के साथ संबंध होने के आरोप सामने आए थे।

इस मामले में सीबीआई इनके घर तक पहुँची थी और सबूत जुटाने के क्रम में इनके घर से कारतूस बरामद हुआ था जिसके कारण आर्म्स एक्ट मामले में वर्मा दम्पत्ति को जेल भी जानी पड़ी थी। मंजू वर्मा ने आठ अगस्त, 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। गौरतलब यह है कि अभी तक किसी भी सफेदपोश लोगों का नाम सामने नहीं आया है अभी भी यह सवाल बना हुआ है कि ब्रजेश ठाकुर को किसका संरक्षण प्राप्त था ?