बेगूसराय (सुरेन्द्र) : नववर्ष के अवसर पर शुक्रवार को विप्लवी पुस्तकालय गोदरगावां में कैफी आजमी सांस्कृतिक विहार के मंच से शांति, सद्भाव, खेती और किसानी जिंदाबाद के बैनर तले कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए श्रीकृष्ण महिला कॉलेज के प्राचार्य विमल कुमार ने कहा कि हम अपना भूख जो मिटाते हैं वह किसान के बदौलत ही। किसान की दशा-दिशा से देश की दशा और दिशा तय होती है। लेकिन आज किसान कठोर ठंड में सड़क पर हैं, उनकी समस्या जल्द दूर करने की जरूरत है।
प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र राजन ने कहा कि आज खेती से किसान को हटाकर कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के द्वारा पूंजीपति के हाथों सौंपा जा रहा है। अंग्रेजों के समय चंपारण से निलहे खेती के खिलाफ जो आंदोलन शुरू हुआ था, वही आंदोलन आज देश में किसान फिर लड़ रहे हैं। आज भी सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला खेती ही है, लेकिन किसान दयनीय हालत में हैं। इसी उद्देश्य से नववर्ष के अवसर पर किसान आंदोलन में देश में शांति सद्भाव के लिये हमलोग एक जगह जुटकर अपनी सहभागिता दे रहे हैं। इस दौरान डॉ. एस. पण्डित ने स्वास्थ्य संबंधी चर्चा किया तो अनिल पतंग ने वर्तमान हालत, साहित्य और समाज पर चर्चा की। वहीं, रामानुज शर्मा, मनोरंजन विप्लवी एवं रामचंद्र चौरसिया ने स्वरचित कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम की शुरुआत बंटी की टीम एवं रूपेश कुमार द्वारा जनवादी गीतों से हुआ। जिसमें ‘मैं कवि हूं गांवों के अनगिनत किसानों का तथा हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिये, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिये’ कि लोगों ने खूब चर्चा की। इस दौरान संविधान की प्रस्तावना का पाठ उपस्थित लोगों ने किया, साथ ही शहीद किसानों के प्रति एक मिनट का मौन भी धारण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश प्रसाद सिंह, मंच संचालन रामबहादुर यादव एवं शमशेर आलम तथा स्वागत भाषण आनन्द प्रसाद सिंह ने किया।