बेगूसराय के लाल शहीद अमरेश का आज है शहादत दिवस , शौर्य नमन की तैयारी पूरी

न्यूज डेस्क, बेगूसराय : जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर जान देने की रुत रोज आती नहीं इस लाइन को चरितार्थ करते हुए मंझौल के लाल ने भारत माँ की सेवा में अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया । देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा का पर्याय बन चुके नक्सलियों से लोहा लेते हुए आज ही के दिन 7 मार्च 2018 को मंझौल के लाल बीएसफ 134 बटालियन के जवान अमरेश कुमार 26 वर्ष की आयु में शहीद हो गए थे। इनके अदम्य साहस और वीरता के लिए विगत 26 जनवरी को शहीद को देश के राष्ट्रपति ने वीरता पुलिस पदक ( मरणोपरांत ) से सम्मानित भी किया । मंझौल वासियों को अपने लाल के शहादत पर फक्र है, तीसरे शहादत दिवस पर मंझौल वासियों ने अपने शहीद लाल की याद में अनेकों कार्यक्रम का आयोजन की तैयारियां की गयी हैं। जब अपने शहीद लाल के शहादत की गाथा याद कर उनको नमन करेंगे ।

पिता का सीना गर्व से है ऊंचा , माँ की आंखों में है आंसू : 5 जनवरी 1992 को मंझौल के बल्लम टोला निवासी उमेश सिंह के घर जन्म लिए उनके बरे बेटे अमरेश कुमार साल 2012 में बीएसएफ में जवान के रूप में देश की सेवा में लग गए । करीब छः साल तक देश की सेवा करने के क्रम में उनको विभागीय प्रमोशन भी दो बार मिल चुका था । वे शहादत के समय आरक्षी के पोस्ट पर थे , जबकि शहादत से कुछ दिनों पहले ही उन्होंने अपनी माँ से फोन कर कहा था कि मुझे फिर से प्रमोशन मिली है। वे मंझौल के ही आरसीएस कॉलेज से पढ़ाई किये थे । वे मध्यमवर्गीय परिवार से थे । अपने एक बहन व दो भाई में सबसे बड़े थे । उनके पिता उमेश सिंह मंझौल में ही करीब 32 वर्षों से अखबार के हॉकर का काम करते हैं। जब बेटे के सेना में नौकरी होने की खबर मिली थी तब भी अखबार का काम निरतंर जारी रखा और बेटे की शहादत के बाद भी निरंतर कर्मयोगी की भांति लगे है। शहीद का पिता होने की गर्व इनके चेहरे पर साफ झलकती है। शनिवार को शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की तैयारी देख शहीद की याद में उनकी माँ बिंदु देवी की आंख आसुओं से डबडबा गयी । माँ ममता की सागर में डूब गईं , उन्होंने कहा कि मेरा बेटा भारत माता की सेवा में वीरगति प्राप्त की लेकिन अपनी माँ को अकेला छोड़ गया।

शहीद की स्मृति में नवनिर्मित भवन का होगा लोकार्पण व अन्य कार्यक्रम : शहीद अमरेश स्मृति संस्थान के तत्वावधान में रविवार को शहीद की स्मृति में शताब्दी मैदान में संध्या 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक शौर्य को नमन करने का कार्यक्रम आयोजित हैं। जिसमें शहीद के तस्वीर पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन , राष्ट्रगान , बीएसएफ 134 बटालियन द्वारा शहीद अमरेश की शौर्य गाथा का वृतांत , मुख्य अतिथि के द्वारा शहीद के माता पिता का अंगवस्त्र से सम्मानित , मुख्य वक्ता व अतिथि का सम्बोधन व भजन गायन का आयोजन किया जाएगा । पंसस मनोज भारती ने बताया कि इससे पहले रविवार की सुबह बीएसफ बटालियन के अधिकारी बेगूसराय से मंझौल पहुंचेगें। उनको सुबह 8 बजे सिवरी पुल से उनके साथ तिरंगा यात्रा निकालकर शहीद के घर पर पहुंचा जाएगा । वहां शहीद के याद में स्वजन द्वारा निर्मित शहीद स्मृति भवन का बीएसफ अधिकारी लोकार्पण करेंगे । उसके बाद झंडोतोलन भी किया जाएगा । शहीद के पिता उमेश सिंह ने बताया कि शहीद के स्मृति में नवनिर्मित भवन में उसकी वर्दी , तस्वीर, पुस्तक सहित अन्य कई स्मृतियों को सहेजा गया है।

स्मृति में बनाये गए हैं मंच व स्मारक द्वार : मंझौल के युवाओं के रोल मॉडल के रूप में स्थापित शहीद अमरेश की याद में यहां के युवा लगातार कई प्रकार के खेल टूर्नामेंट का आयोजन करते रहते हैं, शताब्दी मैदान मंझौल में शहीद की स्मृति में स्थानीय एमएलसी रजनीश कुमार के फंड से शहीद अमरेश नाट्य कला मंच का भी निर्माण कराया गया है । साथ ही विधायक फण्ड से पुस्तकालय चौक से बल्लम टोला की ओर जाने वाले रास्ते के मुख्य निकास द्वार पुस्तकालय चौक पर शहीद की स्मृति में स्मारक गेट का भी निर्माण कराया गया है। हालांकि गेट का निर्माण कार्य कतिपय कारणों से सम्पन्न नहीं हो पाया है। शहीद के स्मृति में बनाये गए मंच पर शहीद के 6 फिट की आदमकद प्रतिमा व स्मारक द्वार पर तीन फीट की प्रतिमा लगाई जाएगी ।

बीएसएफ के सर्च ऑपरेशन में नक्सलियों से मुठभेड़ में हुए थे शहीद : नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन में बीएसएफ के जवान सर्च ऑपरेशन में निकले थे । इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के संवेदनशील नक्सल प्रभावित जोन में सीमा सुरक्षा बल के आरक्षी पद पर सेवारत अमरेश कुमार नक्सलियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए थे । इस मुठभेड़ में बीएसएफ के अन्य अधिकारी भी शहीद हुए थे । इनके शहादत पर बिहार सरकार व छत्तीसगढ़ सरकार ने परिवार को आर्थिक सहयोग देने की घोषणा की थी । जो पांच महीने के लंबे इंतजार के बाद शहीद के स्वजनों को मिल पाया था ।