बेगूसराय में जदयू के इन नेताओं को टिकट मिलने से सोशल मीडिया पर माहौल गरमाया

पोलिटिकल डेस्क : नये पीढ़ी के लोगों के लिए जिले के एक हालिया राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर राजनीति को नजदीक से समझने का मौका मिला है। बेगूसराय में भाजपा के एक नेता ने बुधवार के सवेरे सवेरे दल बदला और दोपहर को सत्ताधारी दल जनता दल-यू ने उन्हें जिले के साहेबपुरकमाल विधानसभा क्षेत्र से टिकट थमा दिया।

चेरिया बरियारपुर , तेघड़ा व मटिहानी से सिटिंग विधायक को दिया है टिकट जदयू की एक सीटिंग विधायिका मंत्री रहने पर मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में फजीहत होने पर मंत्रिमंडल से इस्तीफा दी और फिर उससे जुड़े एक घटनाक्रम में पति सहित जेल की सीखचों में बंद रही। फिलवक्त जमानत पर रिहा हैं। जनता दल यू ने उन्हें फिर टिकट दिया। उम्मीदवार बनाया है। एक विधायक जी पिछले बरस राजद के टिकट पर जीते थे। कभी क्षेत्र नहीं आए। जनता सेवा दूर की बात जनता पांच साल देखने के लिए तरसती रही। क्षेत्र के लोग उनके गायब होने के पोस्टर साट रहे थे। उन्हें उनका चुनाव चिन्ह् लालटेन लेकर ढूंढते रहे। चुनावी वर्ष में वे प्रकट हुए। राजद से जदयू में लाया गया और उन्हें फिर जद यू का टिकट थमा दिया गया। एक सीटिंग विधायक हैं उन्हें भी फिर टिकट दिया गया। उनकी अपनी ही दबंगता है ।अपना काम और अंदाज है।

जमीन से जुड़े हुए जदयू नेता व कार्यकर्ता रह गए इंतजार में यह बेगूसराय जिले में जनता दल-यू के टिकट मिलने की बानगी भर है। जिले में मुख्यमंत्री की जाति के ही दो पूर्व विधान पार्षद हैं। एक से एक जदयू में नेता हैं।स्वजातीय हैं सर्वजातीय हैं ।बरसों से राजनीतिक क्षेत्र में जमे हैं। अच्छे राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। दागी नहीं हैं। किसी शेल्टर होम की मासूमों की इज्जत लुटवाने का तोहमत भी नहीं है। हथियार और गोलियों के कारोबारी भी नहीं हैं। वकील हैं , कलाकार हैं,जनसेवक हैं। जिले में जनता और जमीन से जुड़े नरेंद्र सिंह उर्फ धनकु , रूद्ल राय,भूमिपाल राय,दिलीप वर्मा, जनार्दन पटेल,देव कुमार, विकास कुशवाहा, गुंजन कुमार,पंकज कुमार , कितने ऐसे नाम हैं जिन्हें समता पार्टी से बारास्ता जदयू में आने तक और बरसों से दल की जिला में जिम्मेदारी संभालते देखा जा सकता है।

जदयू ने जिला में चार टिकट बांटे हैं । अब इसे लेकर सोशल मीडिया में सवाल उठ रहे हैं सुशासन और नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं । मुख्यमंत्री की जाति के दो नेता बेगूसराय जिले में टिकट पा गए । कार्यकर्ता नेता मुंह देखते रह गए। दलबदलू और दागी को टिकट देकर सुशासन की बात से मेल नहीं खा सकती। यह सवाल आमजन के जेहन में है।