बेगूसराय वासियों को रुला रही है बिजली की किल्लत , विभाग के अधिकारी को भी नहीं पता कब आएगी और कब जाएगी बिजली

न्यूज डेस्क : विगत एक हफ्ते से जिले के लोगों को बिजली रानी खूब रुला रही है। इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई – लिखाई , उद्योग – धंधे , त्योहारी सीजन का उत्साह , व्यवसाय सहित रोजमर्रा की तमाम चीजों पर पर रहा है। शहरी क्षेत्रों में तो कतिपय लोगों और व्यवसायियों को जेनरेटर , इन्वर्टर , सौर ऊर्जा आदि ऊर्जा स्रोतों का सहारा भी मिलता है । पर जिले के कई प्रखण्ड क्षेत्र में तो लगातार एक पखवारा से बिजली सप्लाई की स्थिति बदतर हो गयी है। रात में तो आंख बिजली की आंख मिचौली से गांव से शहर तक के लोग हलकान हो रहे हैं। बताते चलें कि बेगूसराय जिले में कुल पांच ग्रिड पावर स्टेशन हैं ।

जीरोमाइल , तेघड़ा , मंझौल , बलिया और बगरस ग्रिड सबस्टेशन जहां पटना से बिजली सप्लाई की जाती है। बेगूसराय जिला मुख्यालय में जीरोमाइल से बिजली सप्लाई दी जाती है। बिजली की किल्लत और व्यवस्था का आलम यह है बिजली रोटेशन के आधार पर दी जा रही है। वाबजूद इसके जिलेवासियों और बेगूसराय विद्युत आपूर्ति प्रमंडल के अधिकारियों को पता नहीं रहता है, कि कब बिजली आएगी और कब जाएगी । विगत सालों से सामान्य परिस्थिति में बिजली लगभग 20 घण्टे से भी अधिक मिल रही थी।

लोगों को बिजली की आदत लगने के बाद शहर से लेकर गांव तक बिजली की भारी कटौती होने के कारण आधा भी मिलने में दिक्कत हो रही है। व्यवस्था के प्रति क्षोभ पनप रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक विगत महीने जिले में विद्युत खपत के 130 मेगावाट ही हुई । दूसरे तरफ जिले के विद्युत सब स्टेशनों में औसतन 90 मेगावाट बिजली की डिमांड रहती है। जोकि लोड शेडिंग के कारण कभी कभी घटकर लगभग 20 मेगावाट तक पहुंच जाता है।

लोगों को होगा फजीहत और विभाग को राजस्व का घाटा : अधिकारियों की माने तो आने वाले समय में बिजली की व्यापक संकट आ सकती है। इस कारण जहां अक्टूबर माह में उमस भरी गर्मी के बीच लोगों को रतजगा की समस्या सहित आमजीवन की कई समस्यायों से दो चार होना पड़ेगा । वहीं दूसरी तरफ बिजली विभाग को भी राजस्व का घाटा उठाना पर सकता है।

क्या कहते हैं अधिकारी

बिजली पटना से सप्लाई दिया जाएगा तो ही मिलेगी । स्थानीय स्तर से इसपर कोई भी कंट्रोल नहीं होता है। विगत कुछ दिनों में यह समस्या सामने आई है। कबतक दूर होगी यह कहना मुश्किल है। ऐसे में बिजली सप्लाई घटेगी तो राजस्व पर भी असर होगा । उच्चस्तर के लोग ही यह समस्या दूर करने में सक्षम हैं। यह सारी बातें केके सिंह, द्वारा बताई गई हैं जो पेशे से एक एक्सक्यूटिव इंजीनयर हैं।