बेगूसराय के नावकोठी का आयुर्वेदिक अस्पताल बना खण्डहर, नहीं घूम रही जिम्मेदारों की नजर

न्यूज डेस्क : अभी भारत भर में एलोपैथ और आयुर्वेद को लेकर बहस छिड़ी हुई है। सरकार के द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ करने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन ये कितना सच है , उसके पड़ताल के लिए जिले के नावकोठी प्रखण्ड से द बेगुसराय संवाददाता ने प्रखण्ड क्षेत्र के एक आयुर्वेदिक केंद्र का जायजा लिया।

धरातल पर मौजूद उक्त आयुर्वेदिक केंद्र नावकोठी प्रखण्ड क्षेत्र के स्थानीय गांव में आयुर्वेदिक अस्पताल की स्थिति काफी ही जर्जर है । लोगो का इलाज तो दूर यहा एक पक्षी भी पर तक नही मारता है । किसी भी स्थानीय जनप्रतिनिधि या प्रशासन का ध्यान इस ओर आकृष्ट नहीं हो सका है । इस कोरोना काल लोग हॉस्पिटल में इलाज के लाखों खर्च कर रहे हैं , तब भी जान बचाने की गारंटी अस्पताल नहीं दे पा रहा है ।

नये अस्पताल बनेंगे लेकिन पुराना पर नजर भी नहीं घूमेगा वही कई जगह सरकार जमीन खरीद कर हॉस्पिटल बना रही है ।लेकिन जहा पुराना अस्पताल है ,वहा वहां सरकार की नजर ही नही है। वही नावकोठी के एक युवा जो कि अपने कम उम्र में इस बात को उजागर किया। मोहम्द इकबाल ने कहा कि ये बहुत ही पुराना अस्पताल है। कभी मरीजों के भीड़ से भरा रहता था। यह नावकोठी का लाखो कुमारी आयुर्वेदिक अस्पताल समय के काल के हिसाब से सब कुछ बिखरता चला गया।

सरकारें आई बड़े-बड़े दावे की लेकिन इस अस्पताल का हालत खुद बीमार से भी बदतर हो गया। जिसका इलाज आज तक ना कोई कर पाया। यहां गरीबों को मुफ्त में आयुर्वेदिक चिकित्सा मिलता था वह भी आज बंद होने के कगार पर आ गया है। या यूं कहें लगभग बंद हो चुका है, मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने अस्पताल दूसरे प्रखंड शिफ्ट करने का आदेश जारी किया है और जो एक डॉक्टर मात्र बचे हुए थे उनको अस्पताल खाली करने के लिए कहा गया है। लेकिन हम लोगों के लिए दुख की बात है। लोग आज तक सोए हुए हैं, एक अस्पताल चला जाए क्या हमें इसका दुख नहीं होना चाहिए? आखिर किस मिट्टी के बने हुए हैं सरकार बदलता हैं लेकिन आज तक इस पर कोई ध्यान क्यों नहीं दिया । अगर यही बुनियादी सुविधा उपलब्ध रहता और लोगों का यहां आना जाना रहता तो यह दशा नहीं देखने को पड़ता।