बिहार बेगूसराय :परदेस में रहने वाले लोग छठ पर्व में अपने घर लौटने लगे हैं। महापर्व छठ में शामिल होने के लिए सबसे अधिक लोग ट्रेनों से ही घर आ रहे हैं। इससे जंक्शन पर इन दिनों यात्रियों की भीड़ देखी जा रही है। ट्रेन के देरी से पहुंचने के कारण लोग थोड़े-बहुत परेशान तो हैं। लेकिन छठ महापर्व शामिल होने के लिए घर आ जाने से उनमें खुशी है। वे कहते हैं कि छठ पर उनके घर आ जाने से परिवार में खुशी देखी जा रही है।
अंकुर कुमार दिल्ली से घर आ रहे हैं हैं। वे बताते हैं कि हर साल छठ में घर आते हैं। छठ में घर का माहौल खुशमय हो जाता है। गांवों में भाईचारा और आपसी प्रेम दिखता है। चन्दन कुमार परिजन के साथ घर पहुंचे हैं । वे बताते हैं कि जब से उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं तब से छठ में लगातार घर आ रहे हैं । राजेश सिंह बताते हैं कि छठ का मतलब बिहार होता है। छठ में घर आने का आनंद ही कुछ और है। विक्की कोलकाता से छठ में शामिल होने घर आए हैं । उन्होंने बताया कि ट्रेन काफी देरी से पहुंची है। छठ में घर आने के लिए वे हर साल दो-तीन महीने एडवांस्ड में ही ट्रेन में टिकट कटा लेते हैं।
वही दिल्ली से आ रहे आनंद राहुल ने कहा छठ के मौके पर खासकर दिल्ली से ट्रेन पकड़कर बेगूसराय /बिहार लौटने वालों को बड़ी परेशानी होती है। यात्रियों की सुविधा के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए।
लोक आस्था का महापर्व छठ की तैयारी में लोग :
लोक आस्था का महापर्व छठ की तैयारी में लोग लग गए हैं। सूप-डाला की खरीदारी लोग करने लगे हैं। छठ की खरीदारी को लेकर बाजार में रौनक आ गयी है। वहीं सोशल साइट सहित टीवी आदि पर भी छठ मईया की गीत बजने लगे हैं। शारदा सिन्हा हो या अनुराधा पौडवाल या फिर नयी उभरती गायिका मैथिली सभी की गीत लोगों को काफी पसंद आ रहा है। बाहर रह रहे लोग छठ पर्व को लेकर घर आने लगे हैं। ट्रेनों में भीड़ बढ़ गयी है। 31 अक्टूबर से छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो रहा है।
सूप-डाला की बिक्री हुई तेज:
महापर्व छठ को लेकर सूप-डाला की खरीदारी शुरू हो गयी है। सूप 140 रुपये जोड़ा, डाला 250 से 300 रुपये पीस, सुप्ती 100 रुपये जोड़ा बिक रहा है। पिछले साल की तुलना में इस साल सूप के दामों में प्रति सूप 10 रुपए अधिक है।
सोशल साइट पर छा गई छठ मइया की गीत:
सोशल साइट पर अनुराधा पोडवाल, बिहार को किला शारदा सिन्हा, नयी उभरती गायिका मैथिली की छठी मईया की गीत बज रहे हैं। कांच ही बांस के बंहगिया…, उगो हो सूरजदेव…, अब हम न जइवे दूसर घाट हे छठी मईया…, मारवो रे सुगवा… आदि लोकप्रिय छठ गीत बज रहे हैं। लोग मोबाइल, टीवी आदि पर छठ मईया के गीतों का आंनद ले रहे हैं।
बनने लगे छठ के चूल्हे:
मिट्टी का चूल्हा बनते देखकर ही आस्था के महापर्व छठ के प्रसाद की सोंधी खुश्बू आने लगती है। शहर में छठ पर्व के लिए मिट्टी का चूल्हा बनाने वाले अपने काम जुट गए हैं। दिन-रात एक कर पूरी पवित्रता और निष्ठा के साथ वे इसके निर्माण में लगे हैं। चूंकि छठ बिहार का सबसे बड़ा पर्व है, इसलिए यहीं की मिट्टी से बने चूल्हे का प्रसाद से गहरे अपनापन का बोध होता है।
मिट्टी के चूल्हे पर छठ पर्व का प्रसाद बनाने के पीछे मान्यता यह है कि धार्मिक दृष्टिकोण से मिट्टी को पावन माना गया है। छठ व्रती खरना का प्रसाद जैसे गुड़ की खीर, ठेकुआ और रोटी नए चूल्हे पर ही बनाते हैं। इन सब के पीछे जो सबसे मुख्य कारण है, वह है पवित्रता। मिट्टी के चूल्हे पर बने प्रसाद का स्वाद भी अनूठा होता है।