बेगूसराय के पूर्व सांसद डॉ० भोला बाबू के प्रथम पुण्यतिथि पर विशेष भावाँजलि

बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय जिला से बीजेपी के पूर्व सांसद डॉ भोला प्रसाद सिंह का जन्म गढ़पुरा प्रखंड अंतर्गत दुनहीं गांव में 3 जनवरी 1939 को हुआ था। उनका देहांत 79 वर्ष की उम्र में पिछले 1 साल पूर्व 19 अक्टूबर शुक्रवार दिन 2018 को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में देर शाम में हो गई थी।आज उनकी प्रथम पुण्यतिथि बेगूसराय के टाउन हॉल में मनाई जाएगी। ऐसा संयोग है कि आज भी शुक्रवार का ही दिन है।

लेफ्ट से लेकर राजद तक, ऐसा था बेगूसराय के ‘गार्जियन’ भोला बाबू का सियासी सफर

60 के दशक के उत्तरार्ध में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करते हुए, उन्हें 1967 से बेगूसराय विधानसभा सीट से आठ बार राज्य विधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया। जिले के बाहर उनका एकमात्र चुनावी उपक्रम 2009 में था जब उन्होंने नवादा से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में पिछला संसदीय चुनाव सफलतापूर्वक लड़ा था।

भोला बाबू अपने छात्र जीवन से ही राजनीति करते थे। यही कारण रहा कि एक प्रोफेसर की नौकरी करने के बावजूद भी उनकी राजनीति जीवन में हमेशा दिलचस्पी रहा।भोला बाबू पहली बार निर्दलीय विघायक साल 1967 ई० में बने। वर्ष 1972 में सीपीआई के टिकट पर बेगूसराय से फिर दुबारा विधायक चुने गए थे ।उसके बाद 1977 में कांग्रेस पार्टी से जुड़े। 1977 में उन्होंने उस वक्त परचम लहराया ।

जब बिहार विधानसभा में 324 में कांग्रेस पार्टी को मात्र 56 सीटें मिली थी ।1988, 1989 में जब दिल्ली में चंद्रशेखर सिंह की सरकार थी ,तो उस समय मंत्रिमंडल में डॉ भोला बाबू को शिक्षा राज्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद कांग्रेस की स्थिति को देखते हुए ,उन्होंने लालू प्रसाद यादव के साथ राजद का दामन थामा था। वर्ष 2000 में भोला बाबू ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और चुनाव जीत भी गए थे।

फिर 2005 में चुनाव जीतने के बाद उन्हें विधानसभा के उपसभापति के रूप में चुना गया। वर्ष 2008 में भोला बाबू ने नगर विकास मंत्री के रूप में पद संभाला ।इसके बाद 2009 में नवादा संसदीय क्षेत्र से बाहुबली सूरजभान सिंह को उन्होंने पराजित कर सांसद बने थे। 2014 में वो फिर से अपने गृह जिला बेगूसराय से सांसद के रूप में चुने गए थे ।

वे लोकसभा के विभिन्न कमिटी के सदस्य भी रहे थे। भोला बाबू का राजनीतिक कैरियर पांच दशक का सफर रहा। भोला बाबू को 3 पुत्र और दो पुत्रियों है। बोला बहू की पुत्रवधू वंदना सिंह भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता है। जब कहीं भी भाषण भोला बाबू का होता था ,तो उनके भाषण को सुनकर लोग काफी गदगद हो जाते थे । ऐसा कहा जाता है कि उन पर मां सरस्वती हमेशा साक्षात विराजमान रहती थी। इसलिए जब कभी भी सांसद भवन में उनका भाषण होता था तो वह अपने भाषण से सांसद भवन को भी हिला कर रख देते थे।

सभी दलों के लोग करते थे आदर

भोला बाबू का संबंध हर दल के राजनीतिक करने वाले लोगों से रहता था। सभी लोग भोला बाबू को आदर करते थे ।जब वो नवादा के सांसद थे ।उस समय भी भोला बाबू को बेगूसराय की हमेशा चिंता बनी रहती थी। जिसको लेकर हमेशा वह दिल्ली के सांसद भवन में आवाज उठाते रहते थे। भोला बाबू के रोम रोम में बेगूसराय कि मातृभूमि बसता था।

भोला बाबू के तिरंगा यात्रा के दौरान जीरोमाइल स्थित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के आदम कद प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद अपने कार्यकर्ताओं के साथ
भोला बाबू जब बीमार थे तो उस समय भी सरकार को पत्र लिखकर अपने जिले की समस्याओं को अवगत कराकर उसका पहल करने की हमेशा सरकार से कोशिश करते थे