न्यूज डेस्क : बिहार पंचायत चुनाव को लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ( EVM ) की खरीद में बाधा उत्पन्न हो गयी है । मालूम हो कि आगामी पंचायत चुनाव की तैयारियां प्रदेश के गाँव गाँव तक शुरू है। बताते चलें कि वोटिंग मशीन ( EVM ) नहीं रहने के कारण अब तक पंचायत चुनाव को लेकर प्रशिक्षण के कार्य भी शुरू नहीं हो पायें हैं। जिसको लेकर निर्वाचन आयोग पर निर्धारित समय पर पंचायत चुनाव की तैयारी का दबाव बढ़ता ही जा रहा है।
सभी पंचायत व वार्डों की मतदाता सूची का प्रकाशन 19 फरवरी को किया जाना है। मतदान केंद्र पर बूथों के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में चल रही है। मतदाता सूची व बूथों की सूची तैयार होने के बाद पंचायत चुनाव को लेकर पदाधिकारियों, कर्मचारियों के साथ मतदाताओं का प्रशिक्षण कराया जायेगा। इस चुनाव में मल्टी पोस्ट इवीएम के प्रयोग करने का तरीका बताने के साथ साथ प्रशिक्षण की एक लंबी प्रक्रिया होती है जो अभी तक आरंभ भी नहीं हो सका है।
पहली बार होगा पंचायत चुनाव में ईवीएम का प्रयोग बताते चलें कि साल 2016 में बिहार में पंचायत चुनाव बैलेट पेपर पर हुए थे। इस बार साल 2021 के पंचायत चुनाव में बिहार में पहली बार एक मतदाता को इवीएम के माध्यम से छह मतों का प्रयोग करना होगा । जिस कारण से इसके लिए हर हाल में मतदाताओं का प्रशिक्षण कराना आवश्यक है। ताकि लोकतंत्र की मजबूती के लिए मतदान प्रतिशत को बढ़ाया जा सके । रिकॉर्ड के मुताबिक बिहार राज्य में 8386 ग्राम पंचायत और एक लाख 14 हजार वार्ड हैं।
अबतक नहीं मिल सका है EVM मालूम हो कि भारत निर्वाचन आयोग हर बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव कराने की तैयारी छह माह पहले से ही प्रारम्भ कर देता है। इसमें मशीन की चेकिंग से लेकर प्रशिक्षण कार्य तक किया जाना होता है। पंचायत चुनाव कराने के लिए भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग को इवीएम उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। बीते दिनों में राज्य निर्वाचन आयोग ने पटना हाई कोर्ट में इसको लेकर पीआईएल भी दाखिल किया है। विशेषज्ञों से मिली जानकारी के अनुसार कि EVM से चुनाव कराने के लिए सबसे पहले छह माह पूर्व EVM की फर्स्ट लेवल चेकिंग ( FSL ) करायी जाती है। इवीएम की FSL कराने में दो माह का समय लगता है। बचे चार माह चुनाव कराने को लेकर पदाधिकारियों को कई स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाता है। इन परिस्थितियों में आगामी पंचायत चुनाव के तय समय पर होने को लेकर संशय बढ़ गया है।