रामसर साइट कावर झील का सिकुड़ रहा जलक्षेत्र, नहीं हुए करागर उपाय तो सुख जाएगी यह झील

न्यूज डेस्क, बेगूसराय : जल संरक्षण से ही धरती पर भविष्य में मानवीय जीवन की कल्पना साकार हो पायेगा । इस दिशा में केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा कई सकारात्मक प्रयास भी किये जा रहे हैं। परन्तु सरकारी सिस्टम के उदासीनता के कारण बेगूसराय के मंझौल अनुमंडल में स्थित रामसर साइट का दर्जा बाला अंतरराष्ट्रीय स्तर का वेटलैंड कावर झील पक्षी बिहार पानी की कमी से जूझ रही है। कावर झील में हाल के समय में संकटपूर्ण स्थिति में है।

बताते चलें कि मंझौल अनुमंडल का एक बड़ा हिस्सा बूढ़ी गंडक नदी के तट में बसा हुआ है बावजूद इसके भूमिगत जल स्तर साल दर साल गिरता ही जा रहा है। दूसरे तरफ मंझौल में इतने बड़े भूभाग पर अवस्थित कावर झील के तरफ सरकार द्वारा वृहत स्तर कार्य योजना बनाकर जल संरक्षण के दिशा में कारगर कदम उठाए गए तो क्षेत्र में जल संरक्षण के साथ पर्यटन के विकास में भी सहायक सिद्ध हो सकता है। यहाँ काफी संख्या में विदेशी पक्षी हर साल आते हैं बीते सालों में जल संकट के कारण और अन्य कई वजहों से प्रवासी पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है।

बीते कुछ दशकों में सिकुड़ता चला गया झील : कावर झील पर किसानों व मछुआरों के बीच खींचतान काफी समय से चला आ रहा है। बीते दशकों में साल दर साल जल प्लावित भूभाग सिकुड़ता जा रहा है। एक आंकड़ा के मुताबिक मानसून के मौसम में कावर झील पक्षी बिहार के नोटिफाइड एरिया के कुल भूमि का 4,500 हेक्टेयर पर जल जमाव होता है। झील के वेटलैंड के सूची में रामसर साइट घोषित करने के बाद भी 36% की कमी आयी। उद्धारकर्ता जलोढ़ पारिस्थितिक प्रतिष्ठान सोसायटी के अनुसार, हर साल लगभग 3.8 सेमी गाद काँवर झील में जमा होती है, जिससे झील की गहराई कम हो जाती है। प्रदूषण और अपशिष्ट सहित अन्य प्रमुख समस्या से झील को भी खतरा हो रहा है.

“इंभायरोमेंटल असेसमेंट ऑफ कावर टाल वेटलैंड” पर शोध करने बाले आरसीएस कॉलेज के भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो रविकांत आंनद ने अपने शोध में इस बात के बारे में भी जिक्र किया है, कि कावर की प्रकृति पर झील में अवसाद और प्रदूषण काफी चिंताजनक है। झील के जल क्षेत्र में निरंतर कमी हो रही है। जल के स्रोत बंद होने कारण नियमित जल संग्रह नहीं हो पा रहा है। गाद निरंतर झील की गहराई को कम कर रहे हैं। जिससे कावर झील की जल जमाव की क्षमता प्रभावित हुई है। इसके दुष्प्रभाव के तौर पर कावर झील पक्षी बिहार में प्रवासी पंक्षियों के संख्या में भी कमी हुई है।

कावर झील में सालों भर पानी रखने के लिए ये होंगे कारगर उपाय : कावर वेटलैंड पर विशेष अध्ययन करने बाले प्रो रविकांत आंनद ने कावर को बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपायों के बारे में भी बताया । उन्होंने कहा कि कावर झील में हमेशा पानी रहे इसके लिए उसे जल के मुख्य स्रोत जैसे बूढ़ी गंडक नदी से कावर को नहर के सहारे जोड़ा जाय । कावर से गाद को निकाला जाय । पेड़ों की कटाई कटाई पर रोक लगाया जाय । मनमाने ढंग से आर्थिक क्रिया रोकी जाय । इन सभी उपायों को अमली जामा पहनाने पर कावर अपने पुराने स्वरूप में लौट सकता है।