झुलसा रोग की चपेट में आलू की फसल, सही तरीके देखभाल करें किसान, नही तो हो सकता है भारी नुकशान


न्यूज़ डेस्क : देश में पाई जाने वाली सब्जियों में आलू को सभी सब्जियों का राजा कहा जाता है । कहा भी क्यों नही जायगा इसमें गुणों का भंडार जो होता है । आलू को किसी भी सब्जी में आसानी से मिलकर बनाया जा सकता है । यह जितना सस्ता मिलता है , ठीक उसके विपरीत गुणों का भंडार भी होता है। आलू में कैल्शियम, लोहा , विटामिन बी , तथा फास्फोरस बहुतायत रूप से होता है।

इसे खाने से रक्त वाहिनियां लम्बी आयु तक लचकदार बनी रहती है। इसलिए इसे खाकर लोग लंबी आयु को प्राप्त कर सकता है । आलू को लोग दूध में मिलाकर सेवन कर सकते हैं । छिलका सहित भूनकर गरम खाना सबसे अधिक गुणकारी होता है । इसलिए इसे सब्जियों का राजा कहा जाता है । फिलवक्त बदलते मौषम की वजह से इस फसल पर झुलसा रोग की साया मंडराने लगा है । जल्दी ही इसका मुकम्मल प्रबंधन नही करते है तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

आलू प्रबंधन को लेकर खोदावंदपुर कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय कृषि वैज्ञानिक व प्रधान डॉ. रामपाल कहते हैं कि वातावरण में नमी के कारण आलू की फसल में विष्णु जनित रोग लगने की संभावना प्रबल हो जाती है। झुलासा रोग लगने के बावत उन्होंने बताया कि सबसे पहले आलू के पौधे की पत्तियों पर गोलाकार काले काले धब्बे दिखाई पड़ने लगता है। जो आगे चलकर तीन से चार दिनों में पत्ते के अलावे पौधा कंद सहित पूरे खेत को अपने आगोश में समेट लेता है। परिणामस्वरूप किसानों को भारी नुकशान उठाना पड़ता है। उन्होंने आलू उत्पादक किसानों को झुलसा रोग बाचव या एहतियातन तैयारी के बावत बताया कि मौषम में लगातार हो रही बदलाव , रुक रुक कर बूंदाबून्दी , घना कोहरा , वतावरण में नमी और तापमान में गिरावट के कारण आलू की फसल में लगने वाला झुलसा रोग का कारण है ।

आलू उत्पादक किसान फसल का ससमय प्रबंधन नही करते हैं तो उन्हें काफी नुकशान उठाना पड़ेगा । आलू की फसल में लगने वाला झुलसा रोग की रोकथाम के बावत कहा कि आलू के पौधे में यदि कही कही रोग का असर दिखाई पड़ता है तो इस परस्थिति में किसान डाइथेन एम 45 दवा को 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर आलू के पौधे पर छिड़काव करें । इससे आलू की फसल में आंशिक रूप से लगा झुलसा रोग पर काबू पाया जा सकता है। यदि फसल में झुलसा रोग का ज्यादा प्रकोप है तो इस परस्थिति डाइथेन एम 45 दवा को 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी का बनाया गया घोल में 02 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब रिडोमिल दवा मिलाकर छिड़काव करें । इसके अलावे आलू की फसल लगे खेतों में नमी बरकरार रखने के लिए मामूली सी पटवन करें । अगर शाम के समय कोहरा दिखाई पड़े तो खेतों के आसपास घास फूस इकट्ठा करके उसमे आग जलाकर धुआं करें । ऐसा करने से आलू की फसल लगे झुलसा रोग से बचाया जा सकता है