बेगूसराय में एनडीए और भाजपा के अंदर उलझे सियासी पेंच, नेता पर्दे के पीछे खेल में हैं मस्त

पोलिटिकल डेस्क : बेगूसराय में जिला भाजपा के अंदर सारे सियासी पेंच उलझे हुए हैं। टिकट विक्षोभ, अंतर्कलह, भीतरघात और उठापटक. दल से निष्कासन और अनुशासन की उठती बात। यही सब हो रहा है विधानसभा चुनाव में बेगूसराय जिला भाजपा के साथ। टिकट वितरण के बाद नामों की घोषणा के साथ ही दावेदारों के मुंह फुलाने से जिला भाजपा की परेशानी बढ़ी है।

दावेदार नेता पर्दे के पीछे खेल में मस्त हैं। उम्मीदवार और दल की परेशानी बढ़ी है। गठबंधन धर्म खतरे में है। नेताओं कार्यकर्ताओं और समर्थकों की अपनी मर्जी का राज है। बेगूसराय जिले में गठबंधन के तहत भाजपा को कुल सात में से तीन सीटें ही मिलीं। चार सीटों पर सहयोगी जदयू के उम्मीदवार हैं। तीन भाजपाई कोटे के सीट पर नाम की घोषणा से पहले ही भाजपा के जिले के कई कद्दावर नेता दल छोड़कर दूसरे दल से उम्मीदवार बन बैठे। बखरी से पार्टी के पूर्व विधायक रामानंद राम दल छोड़ पप्पू यादव की पार्टी जाप के उम्मीदवार बन बैठे। भाजपा ने यहां उन्हें इसबार टिकट से वंचित कर दिया और दूसरे कार्यकर्ता रामशंकर पासवान को टिकट थमा दिया था।

तेघड़ा की सीट जदयू के कोटे में गई तो वहां के पूर्व भाजपा विधायक ललन कुमार ने लोजपा का दामन थाम लिया और उम्मीदवार बन बैठे। बेगूसराय सीट पर दावेदार बहुत थे। टिकट स्थानीय सांसद गिरिराज सिंह के खासमखास को मिला तो उनके शेष खासमखास ही नाराज हो गए। पार्टी के चार पूर्व जिलाध्यक्ष,सांसद प्रतिनिधि, जिला महामंत्री सहित अनेकों दावेदार ने मुंह फुलाते हुए फुफकारते हुए सोशल मीडिया तक में प्रकट हो गए। चिट्ठी का दौर भी चला। सौगन्ध महादेव की आदि टैग लाइन भी।

सांसद को खरी-खोटी कहना भी शुरू हो गया। चुनाव में एक सप्ताह बाकी रह गया है । बेगूसराय के सांसद अपने चुनाव क्षेत्र में दर्शन न दे सके हैं। जिले के बेगूसराय सीट पर आधे दर्जन लोग बागी बनकर सामने आ गए। कुछ नामांकन कराने।कुछ पर्दे के पीछे के खेल में व्यस्त हो गए। जिला पार्टी ने एक महामंत्री आशुतोष पोद्दार हीरा, पूर्व जिलाध्यक्ष जयराम दास और एक नेता संजय गौतम को दल से निष्कासित कर दिया। इनमें हीरा पोद्दार और संजय गौतम भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार बन बैठे हैं।

टिकट नहीं मिलना बना भीतरघात का कारण : बेगूसराय सीट को लेकर दावेदार अधिक थे और टिकट विक्षोभ का असर चुनाव में अपने ही के खिलाफ भीतरघात की शक्ल अख्तियार कर गया। कहने को तो जिले में बेगूसराय विधानसभा सीट पर ही एनडीए के सबसे अधिक समर्थकों का वोट है और कांग्रेस के सीटिंग विधायक को बीजेपी घेरने की तैयारी में है। लेकिन, भाजपा के अपने ही बेगाने बने पर्दे के पीछे के खेल में व्यस्त हैं। भाजपा का अंतर्कलह चुनावी समर में भाजपा की लुटिया तो डुबोने के लिए काफी है । दूसरे सहयोगी दल जदयू को भी लोजपा संकट का सामना करना पड़ रहा है।। जिले का भाजपा नेतृत्व इससे कितना निबट पाता है । समर्थकों और वोटरों का बड़ा हुजूम रहते चुनाव की वैतरणी पार करने में सफल हो पाता है या फिर किश्ती डूब जाती है। रिजल्ट बाद यह देखने योग्य बात होगी।