बेगूसराय के इस रेफरल अस्पताल में डॉक्टर साहब का इंतजार करते करते लौट जाते हैं मरीज

बेगूसराय : जिले के मंझौल रेफरल अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। कुव्यवस्था का आलम यह है कि इलाज के लिए आये मरीजों को अस्पताल में कार्यरत कुछ कर्मचारियों के द्वारा पहले ही बता दिया जाता है कि डॉक्टर साहब नहीं आएंगे घर चले जाइये, तो कुछ कर्मचारी के द्वारा लगातार कई घण्टों तक दस मिनट और दस मिनट और बैठने का दिलासा दिया जाता है। चिकित्सकों के अपने ड्यूटी के प्रति गैरजिम्मेदाराना व्यवहार के कारण इलाज की आस में रेफरल अस्पताल पहुंचने बाले मरीज पुर्जा कटाकर घण्टों इंतजार करते रहे हैं। कई बार तो आस टूटने पर बिना दिखाए ही मरीज घर को वापस जाने लगते हैं।

ऐसा ही कुछ नजारा शनिवार को भी दिखा, एकम्बा निवासी चन्दन सहनी , मंझौल बिचखन्ना निवासी विजय सहनी की पुत्री काजल कुमारी , खोय टोला निवासी लुखिया देवी , महीशवारा निवासी शिव देवी, कमला निवासी प्रसिद्घ तांती , नौलखा निवासी कनिलाल समेत कई लोग चिकित्सक के इंतजार में करीब दस बजे से ही बैठे थे। मंझौल पंचायत तीन के बिचखन्ना निवासी काजल कुमारी ने बताया कि आज तीसरा दिन अस्पताल आये है। लगता है आज भी ईलाज नहीं हो पायेगा । कमला निवासी बुजुर्ग प्रसिद्ध तांती ने बताया कि लॉक डाउन से पहले आया था लेकिन तब भी किसी किसी दिन बिना इलाज के ही मायूस होकर जाना पड़ता था। हम तो छह सात महीने के बाद आये हैं लगता है आज भी घूम के ही जाना होगा । अस्पताल के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डॉ स्वाति मैडम का डियूटी है, परंतु आज दुर्गा पूजा का प्रथम दिन होने के कारण उनको आने में लेट हो गया , वो आती ही होंगी ।

रेफरल अस्पताल में फैली है कुव्यवस्था , निजी अस्पताल में मरीजों का होता है दोहन

लगभग 30 साल पहले रेफरल अस्पताल मंझौल का उद्घाटित भवन पूर्णतः जर्जर होने के बाद दो साल पहले चिकित्सकीय आवास में अस्पताल को आसीयू पर जिंदा रखा गया है। सभी सृजित पदों पर न तो कर्मचारी और न ही चिकित्सक पूर्ण हैं। स्थिति यह है कि इलाज के लिए आने बाले मरीजों के बैठने तक के इंतजाम नहीं है । अस्पताल के नाम पर इलाज कम और खानापूर्ति कर रेफरल अस्पताल प्रबंधन मौज उड़ाने में लिप्त है। उक्त बाबत मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। विगत कुछ साल में मंझौल में प्राइवेट हॉस्पिटलों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। ज्यादातर निजी अस्पतालों की विश्वनीयता और डिग्री धारी चिकित्सकों की उपलब्धता पर कई बार सवाल भी उठते रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के निंद्रा में होने के कारण उक्त गोरखधंधा ख़ूब फलफूल रहा है। इसका एक विभत्स उदाहरण भी घटित हो चुका है जहां कुछ महीनों पहले मंझौल बखरी रोड स्थित एक प्राइवेट क्लिनिक में ऑपरेशन के दौरान एक महिला की मृत्यु भी हो गयी थी। वाबजूद किसी अधिकारी के कान पर जु तक नहीं रेगी ।