एक के बाद एक नेता छोड़ रहे हैं तेजस्वी का साथ! ताश के पत्तों की तरह बिखर रही है आरजेडी

डेस्क : लालू यादव की अनुपस्थिति में आरजेडी अब ताश के पत्तों की तरह बिखरती जा रही है। बिहार में लालू प्रसाद यादव के सपने को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उनके बेटे तेजस्वी यादव के कंधे पर है लेकिन अब यह अब एक के बाद एक नेता विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तेजस्वी का साथ छोड़ रहे हैं। इनमें आरजेडी के मूलवोट बैंक माने जाने वाले समुदाय के नेता भी शामिल है।

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने करीब 5 साल पहले अपने परिवार के अन्य सदस्यों की दावेदारी को दरकिनार करते हुए बड़ी हसरत से अपने छोटे पुत्र तेजस्वी यादव को राजनीतिक का उत्तराधिकारी सौंपा था। लालू की अनुपस्थिति में तेजस्वी ने जिम्मेदारी को बखूबी निभाया लेकिन उनकी पार्टी अब लालू की अनुपस्थिति में ताश की पत्तों की तरह बिखरती जा रही है।

हाल ही में 5 विधान परिषद सदस्यों ने पार्टी छोड़ जेडीयू का दामन थाम लिया जबकि रघुवंश प्रसाद जैसे दिग्गज नेता ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक विजेंद्र यादव ने आरजेडी से इस्तीफा दे दिया है जबकि पूर्व विधायक भोला यादव ने भी बगावत का झंडा गाड़ दिया है।

बिहार में आरजेडी के वोट शेयर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है 2004 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी को कुल वोटों का 30.7 प्रतिशत मत मिला, जनता दल को 1990 के विधानसभा चुनाव में लालू यादव को पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने से लगभग 5% अधिक मत मिला। इसके बाद आरजेडी का वोट शेयर तब से लगातार गिर रहा है। 2000 लोकसभा चुनाव में 25 फ़ीसदी,2005 विधानसभा चुनाव में 23.45 फीसदी, 2009 के लोकसभा चुनाव में 19.3 फीसदी, 2010 के विधानसभा चुनाव में 18.8 फीसदी, 2014 के लोकसभा में 20.5 फ़ीसदी, 2015 के विधानसभा में 18.3 और 2019 के आम चुनावों में 15.4 प्रतिशत आरजेडी को मिला।