न्यूज डेस्क , बेगूसराय : सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए गर्भधारण के साथ ही प्रसूति महिलाएं के लिए उचित प्रबंधन और समुचित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध होना कितना जरूरी है। यह बेगूसराय जिले के साहेबपुर कमाल पीएचसी में देखने को मिला। जहाँ जन्म लेने के बाद से ही साँस की समस्या से जूझ रहे नवजात एवं उनके चिंतित परिजनों को ना सिर्फ बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिली, बल्कि, ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों की सकारात्मक पहल और उचित प्रबंधन के साथ समुचित इलाज से नवजात की जान भी बची।
यह एक बानगी है। सच तो यह है कि इससे पूर्व में भी कई ऐसे नवजात का उचित प्रबंधन एवं स्वास्थ्य कर्मियों की सकारात्मक पहल से कई जान बच चुकी है । स्वास्थ्य कर्मियों की सकारात्मक पहल से सकारात्मक बदलाव भी दिखने लगे हैं। बदलाव यह कि लोगों का पूर्व की भाँति अब संस्थागत प्रसव पर विश्वास बढ़ने लगा है| लोग संस्थागत प्रसव को ही प्राथमिकता देने लगे हैं।
उक्त मामला एचएससी श्रीनगर, साहेबपुर कमाल निवासी रोहित कुमार की पत्नी राखी कुमारी से जुड़ा है। राखी को साहेबपुर कमाल पीएचसी में सामान्य प्रसव हुआ था और जन्म के बाद ही नवजात साँस की समस्या से पीड़ित हो गया। जो ड्यूटी पर तैनात अमानत का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी जीएनएम प्रेमलता कुमारी एवं एएनएम उषा कुमार तथा केयर इंडिया की प्रखंड प्रबंधक ज्योति कुमारी की सकारात्मक पहल और उचित इलाज से पूर्ण रूप से स्वस्थ हुआ।
ससमय उचित इलाज एवं स्वास्थ्य कर्मियों की पहल से बची जान : साहेबपुर कमाल पीएचसी के प्रभारी डॉ बीके गुप्ता ने बताया कि नवजात साँस से संबंधित परेशानी से ग्रसित था। वह साँस नहीं ले पा रहा था। इस स्थिति में ससमय उचित इलाज की जरूरत होती है। ऐसे में अमानत का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी जीएनएम प्रेमलता कुमारी एवं एएनएम उषा कुमार तथा केयर इंडिया की प्रखंड प्रबंधक ज्योति कुमारी की पहल से नवजात का समय पर इलाज शुरू हुआ। जिससे नवजात की जान बची और पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद ही पीएचसी से छुट्टी दी गई। नवजात अब अपने घर में पूरी तरह स्वस्थ है।
नवजात की स्थिति देखकर पीएचसी प्रभारी को बताई, फिर शुरू की इलाज : एएनएम उषा कुमारी ने बताया कि जैसे ही मैंने नवजात की परेशानी देखी तो मुझे एहसास हो गया कि इसकी जान बचाने के लिए तुरंत इलाज शुरू करने की जरूरत है। क्योंकि, नवजात साँस नहीं ले पा रहा था। मैंने तुरंत पीएचसी प्रभारी को नवजात की जानकारी दी और उनकी देखरेख में इलाज शुरू हुआ । जिसके बाद नवजात की जान बची और वह स्वस्थ हुआ।
कंगारू मदर केयर तकनीक को अपनाना हुआ कारगर : जीएनएम प्रेमलता कुमारी ने बताया कि पहले पीएचसी प्रभारी की देखरेख में नवजात का आवश्यक इलाज हुआ। इसके बाद नवजात की माता को कंगारू मदर केयर तकनीक की जानकारी दी एवं उसे अपनाने की तरीके बताये । जो नवजात के स्वस्थ शरीर निर्माण में काफी कारगर साबित हुआ।
समुचित इलाज से बची नवजात की जान : केयर इंडिया प्रखंड प्रबंधक ज्योति कुमारी ने बताया कि नवजात की स्थिति को देखने से लगा कि उसे न्हें तुरंत समुचित इलाज की जरूरत है। इसके बाद मैं ड्यूटी पर तैनात एएनएम के सहयोग से पीएचसी प्रभारी की देखरेख में नवजात का इलाज शुरू हुआ । समय पर शुरू हुए इलाज और उचित प्रबंधन से ही नवजात की जान बची।
डाॅक्टर धरती का भगवान तो नर्स है देवी : पीड़ित नवजात की माँ राखी देवी ने बताया कि एएनएम दीदी, केयर इंडिया की दीदी एवं पीएचसी के डाॅक्टर की सकारात्मक पहल से ही मेरे बच्चे की जान बची। क्योंकि, अगर समय पर मेरे बच्चे का इलाज शुरू नहीं करते तो शायद मेरा बच्चा आज मेरा नहीं रहता । इसलिए, मैं कहती हूँ डाॅक्टर धरती का भगवान तो नर्स देवी है। क्योंकि, मेरे बच्चे को बचाने में सभी ने पूरा जी जान- लगा दिए। मैं इन सभी लोगों को जीवन भर भूल नहीं सकती । मेरा बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और अब किसी प्रकार की परेशानी नहीं है। मैं अन्य लोगों से भी अपील करती हूँ कि किसी प्रकार की परेशानी होने पर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में ही इलाज करवाएं। यहाँ मुफ्त सही और समुचित इलाज किया जाता है।