डेस्क : मटिहानी में राजकुमार के लोजपा उम्मीदवार बन जाने से यहां एनडीए का समीकरण गड़बड़ा गया है। यहां से अजेय माने जाने वाले बोगो सिंह के सामने लोजपा के इस हैवीवेट कैंडिडेट के उतारे जाने से उनका सुगम माना जाने वाले रास्ता अब कठिन लगने लगा है। बोगो सिंह मटिहानी विधानसभा क्षेत्र में 15बरसों से काबिज हैं। ये लगातार चार चुनाव जीत कर अपने को दबंग विधायक की श्रेणी में गिनती कराए रखें हैं यूं मटिहानी विधानसभा क्षेत्र दो टर्म के बाद ही नई करवट लेता रहा है।
वर्ष 1977 में मटिहानी नाम से नए विधानसभा के गठन के साथ ही लगातार दो बार चुनाव में सीपीआई ने यहां से सफलता अर्जित की। लेकिन,1980 में जनता ने करवट लेते हुए कांग्रेस के प्रमोद कुमार शर्मा को यहां से विधायक चुन लिया। वर्ष 1985 में प्रमोद कुमार शर्मा दूसरी बार भी चुनकर लगातार 10 वर्ष एमएलए रहे। वर्ष 1990 में मटिहानी क्षेत्र ने नया इतिहास लिखा और यहां से सीपीआई के राजेन्द्र राजन ने प्रमोद कुमार शर्मा को पराजित कर दिया। वे लगातार तीन बार यानि पंद्रह बरस एमएलए बने रहे।
वर्ष 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में नरेन्द्र कुमार सिंह बोगो सिंह ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार बनकर राजेन्द्र राजन ही नहीं सीपीआई के इस महत्वपूर्ण गढ़ को छिन्न-भिन्न कर डाला। तबसे इस क्षेत्र पर बोगो सिंह का कब्जा है। सारे पुराने उम्मीदवार यहां से पराजित होते रहे और बोगो सिंह जीतते रहे। सीपीआई से राजद तक और लोजपा से लेकर कांग्रेस भाजपा तक। सब को बोगो सिंह चुनावी मैदान में परास्त करते रहे। लगातार चुनावी चक्रव्यूह को तोड़ते अपने विजयश्री का डंका बजाते रहे।
अब 15 बरस बाद मटिहानी क्षेत्र की जनता एकबार फिर बोगो सिंह को ही चुनती है या फिर जनता करवट लेकर दूसरे को अवसर देती है। बोगो को चुनौती देने वाले राजकुमार सिंह कामदेव सिंह के पुत्र हैं। जो कभी इस क्षेत्र से अपनी मनपसंद उम्मीदवार को चुनवा लेते थे। बूथ कैप्चरिंग का इतिहास उन्हीं कामदेव सिंह और मटिहानी के इसी विधानसभा क्षेत्र के नाम पहली बार अंकित हुआ था। अपने राजनीतिक रूतबे को लेकर चर्चित कामदेव सिंह के पुत्र के इस विधानसभा क्षेत्र में तिलक लगता है या पांचवीं पारी भी बोगो सिंह ही खेलते हैं।यह देखना दिलचस्प होगा