बेगूसराय में 10वीं में पढ़ने वाले छात्र ने पढाई के साथ स्ट्रॉवेरी की खेती कर पेश कर रहे मिशाल

डेस्क : हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश है। यहां पर हर समाज का व्यक्ति खेती से जुड़ा है, ऐसे में देश का हर बच्चा अपने प्रारंभिक दौर में खेती की ठीक-ठाक समझ रखता है। ऐसी ही समझ रखते हुए बिहार के बेगूसराय में एक दसवीं कक्षा के छात्र ने स्ट्रॉबेरी की खेती की है। जब हमको यह बात पता लगी तो काफी आश्चर्य हुआ की आखिर कैसे एक बच्चे ने स्ट्रॉबेरी की खेती की? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमारी टीम सीधा एकलव्य कौशिक के पास पहुँच गई।

दसवीं कक्षा के छात्र एकलव्य कौशिक का कहना है की स्ट्रॉबेरी को उगाने के लिये पर्याप्त तापमान चाहिए जो उनके इलाके में मौजूद है। उनका कहना है की 2 महीने पहले यानी दिसंबर में उन्होंने ट्रायल के लिए स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की थी। जिसके चलते उन्होंने 750 पौधे 5300 रूपए में खरीद कर लगवाए थे। स्ट्रॉबेरी का पौधा लगाने के पीछे का मकसद था की उसके रखरखाव में काफी कम खर्च आता है और समय भी काफी कम लगता है। जिसके चलते मात्र 2 महीने के भीतर ही हम इसका रिजल्ट उनके साथ देख सकते हैं। एकलव्य कौशिक कहते हैं की बरसात के मौसम तक काफी आसानी से इसकी पैदावार होती रहेगी।

स्ट्रॉबेरी का पौधा फूल खिलने के एक महीने बाद फल देता है और एक पौधे में 18-20 फल लगते हैं जो अमूमन 4-5 सेंटीमीटर के होते हैं। स्ट्रॉबेरी उगाने की प्रेरणा उनको टीवी द्वारा आई और उनके फूफाजी भी जियोलॉजी के मास्टर हैं जिनके सानिध्य से उन्होंने यह पौधा लगाया। एकलव्य कौशिक के मुताबिक़ आने वाले समय में स्ट्रॉबेरी एक प्रॉफिटेबल बिज़नेस हो सकता है और बाजार में बिहार की स्ट्रॉबेरी की डिमांड भी है।

जिसके चलते यह मुनाफे की खेती साबित हो सकती है। बिहार में काली मिटटी है जिस लिहाज से यह पौधा आसानी से उग सकता है। एकलव्य कौशिक ने यह पौधे हिमाचल प्रदेश से कूरियर के जरिये मंगवाए थे और दिसंबर के पहले से दुसरे हफ्ते के बीच इनको लगाया। उनका कहना है की मार्च के पहले हफ्ते तक स्ट्रॉबेरी का फल आ जाएगा।

बात करें मुनाफे की तो एकलव्य बताते हैं की जिनसे उन्होंने यह स्ट्रॉबेरी के पौधे खरीदे हैं, वह ही इनसे इसके फल भी लेंगे और अगर वह अपने इलाके में भी इसको बेचते हैं तो यह एक बेहतरीन विकल्प होगा। उनके खेत में स्ट्रॉबेरी के पौधे के अलावा आम, निम्बू और सेब के भी पेड़ लगें हैं। इससे साफ़ जाहिर होता है की भारत के युवा आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना सफल योगदान दे रहे है। इसके बाद एकलव्य से बातचीत करने के दौरान यह भी पता लगा की वह मल्टीक्रॉप तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे सेब के पेड़ भी बीच में लगाएं हैं, जो स्ट्रॉबेर्री के बाद उगेंगे और वह उसकी भी मार्केटिंग कर पाएंगे।

कम लागत में अच्छी उपज के साथ ऊंची कीमत भी : आम जन जीवन में नवप्रयोग करने की लगन और मेहनत के बल पर लगाए गए स्ट्रॉबेरी पौधों में अब फूल और फल आ गए हैं। अमूनन ठंड प्रदेशों में होने बाले स्ट्रॉबेरी की खेती अब बेगूसराय में भी की जा रही है। बातचीत में एकलव्य कौशिक ने बताया कि मेरा ऐसा मानना है कि मेरे द्वारा शुरू की गई स्ट्रेबेरी कि खेती यहां के वातवरण में कामयाब हो पाया तो इसे वृहत पैमाने पर किया जाएगा । औऱ क्षेत्र भर के किसानों को भी जानकारी दिया जाएगा कि आपलोग भी कम कम लागत में स्ट्रेबेरी की खेती कर अच्छी आमदनी कमा सकते हैं।

बताया कि एक पौधे में एक से डेढ़ केजी तक फल होने के आसार है। इसे हम नजदीक के मंडी में भी बेच सकते हैं या फिर जहां से पौधे मंगवाए उनको हम फल भी बेच सकते हैं। करीब हजार रुपये तक किलो खुदरा बिकने बाला इस फल की उपज के बाद 400 प्रति किलो में बिकेगा। लगभग सभी पौधों में फूल के बाद फल आने शुरू हो गए हैं, करीब एक महीने बाद फल टूटने लगेंगे। एक फल लगभग छः सेमी का होगा। फल टूटने के चार दिन बाद पकने लगेंगे। एकलव्य कौशिक के इस खेती के जोश को पूरी द बेगूसराय टीम की तरफ से शुभकामनाएं।