राज्यसभा में प्रो राकेश सिन्हा ने उठाई मांग , राष्ट्रकवि दिनकर के घर को रास्ट्रीय धरोहर घोषित करे संस्कृति मंत्रालय

न्यूज डेस्क , बेगूसराय : अपनी कालजयी रचना से विश्व में अमिट छाप छोड़ने बाले राष्ट्रकवि दिनकर जी के स्मृतियों को रास्ट्रीय धरोहर घोषित किये जाने की मांग को राज्यसभा में उठाया गया । स्व रामधारी सिंह दिनकर के घर को रास्ट्रीय धरोहर घोषित करने के सम्बंध में राज्यसभा में प्रो राकेश सिन्हा ने आवाज उठाई। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि श्रेष्ठ साहित्यकार अपनी कालजयी रचना से समाज को प्रगतिशील बनाता है।

वर्तमान ही नहीं पीढ़ियों को प्रेरित एवं प्रभावित करता है। चाहे ब्रिटेन के शेक्सपियर हो , रूस की लेग्जेंडर बूस्टिंग , अमेरिका के ग्रेबिल ग्रेसिया मार्केज या भारत के रामधारी सिंह दिनकर वे सभी अपनी रचना के कारण काल व भूगोल को लांघ गए हैं। दिनकर की रचनाओं में व्यापक मानवीय मूल्यों को सम्बोधित किया गया है। उनकी लेखनी ने ना सिर्फ साहित्य को समृद्ध किया है। बल्कि सामाजिक चेतना और सरभौमिक नैतिकता के भाव को जागृत करने का कार्य किया है। उनकी कृतियाँ रश्मिरथी , उर्वशी , परशुराम की प्रतीक्षा , संस्कृति का चार अध्याय रास्ट्रीय साहित्य के साथ साथ विश्व साहित्य का हिस्सा है। 1959 में उन्हें पदम् भूषण से सम्मानित किया गया था ।

1972 में प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया था । उनका व्यक्तित्व समानता , समरसता , जनपक्षधरता का प्रतीक है। मनोनीत सदस्य के रूप में राज्यसभा में अभिव्यक्त विचार इसे पुष्ट करता है। ऐसे महान व्यक्ति की स्मृति को सहेज कर रखना सरकार और समाज का स्वभाविक दायित्व होता है, उनका जन्म बिहार के बेगूसराय के सिमरिया में हुआ था। सैंकड़ों लोग उनके जन्म स्थान को देखने जाते हैं। उनके घर और उनसे जुड़ी चीजों को परिवार के लोग ने सम्भाल कर रखा है , संस्कृति मंत्रालय से अपेक्षा है कि उनके घर को रास्ट्रीय धरोहर घोषित करें । राष्ट्र कवि दिनकर का सम्मान साहित्य , समाज , साहित्यकार तीनो के प्रति सम्मान ही नहीं बल्कि पीढ़ियों को उत्साहवर्धन करने बाला होगा । यह साहित्य , कला , संस्कृति के प्रति सरोकार और संवेदनशीलता का भी परिचायक होगा ।