जानें मटिहानी विधानसभा सीट के बारे में, भारत के इतिहास में पहली बार हुआ था बूथ लूट-कांड

मटिहानी / पोलिटिकल डेस्क : गंगा के कटावों और थपेड़ों को झेलते निवासियों के अदम्य साहस का क्षेत्र रहे मटिहानी विधानसभा क्षेत्र का अपना अलग ही इतिहास व भूगोल रहा है‌। कभी कामदेव सिंह इस इलाके की राजनीति को प्रभावित करते थे तो कभी सीपीआई के जांबाजों की टोली। देश में पहली बार बूथ लूट और जर्बदस्ती वोट गिरा लेने के लिए चर्चित यह क्षेत्र 1977 में मटिहानी के नाम से अस्तित्व में आया। इससे पहले यह क्षेत्र बेगूसराय दक्षिणी और बेगूसराय के अंदर था। बेगूसराय से 1952 और 1957 में रामदीरी गांव के सरयू प्रसाद सिंह चुनाव जीते। 1962 में उनका टिकट काटकर रामनारायण चौधरी को कांग्रेस ने टिकट दिया और वे जीत गए। 1967 में भोला सिंह ने कम्युनिस्टों की मदद से यह सीट जीत ली। 1969 में कांग्रेस के सरयू प्रसाद सिंह ने उन्हें पराजित कर दिया।1972 में भोला सिंह दुबारा कम्युनिस्ट पार्टी से यहां से जीत गए।

यहाँ सिटिंग विधायक की कर दी गयी थी हत्या वर्ष 1977 में यह क्षेत्र मटिहानी के नाम से नए आकृति में प्रकट हुआ। यहां से सीपीआई के सीताराम मिश्र जीते। लेकिन,1978 में उनकी हत्या कर दी गई और पुनः उपचुनाव हुआ। इसमें भी सीपीआई के देवकीनंदन सिंह ने जीत हासिल की। 1980 में यहां परिवर्तन आ गया और कांग्रेस के प्रमोद कुमार शर्मा ने सीपीआई को पराजित कर कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा दिला दिया। उन्होंने वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा। लेकिन, राज्य में 1990 में कांग्रेस के खिलाफ रामो वामो के गठबंधन में सीपीआई के राजेन्द्र राजन ने इस सीट को पुनः वामपंथ के कब्जे में ला दिया। उन्होंने लगातार तीन बार 1995 और 2000 में इस सीट पर कब्जा जमाए रखा।

2005 में इस सीट से निर्दलीय जीते थे बोगो सिंह वर्ष 2005 में इस क्षेत्र में नरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह का उदय हुआ। उन्होंने पहले निर्दलीय और बाद में जदयू के टिकट पर लगातार चार बार जीत हासिल कर सीपीआई को हासिए पर पहुंचा दिया ।वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में आनर्स कांग्रेस के अभय कुमार सिंह ने करारी टक्कर दी थी। वर्ष 2015 में इन्होंने भाजपा को मात दी। इस बार के चुनाव में जनता दल यू की सीटिंग सीट की वजह से बोगो सिंह के फिर चुनाव मैदान में उतरने का मार्ग प्रशस्त है। एनडीए से इनका उतरना प्राय तय है। महगठबंधन में यह सीट कांग्रेस के कोटे में जा सकती है। कांग्रेस के अभय कुमार सिंह सारजन चुनाव की तैयारी में लग चुके हैं। राजद, कांग्रेस और वामपंथियों के गठबंधन में यह क्षेत्र समीकरण में एनडीए से ज्यादा ताकतवर है। कांग्रेस के सारजन सिंह को पहले से चुनावी अनुभव है। क्षेत्र की सबसे बड़ी आबादी के रामदीरी गांव के हैं। जिले में कांग्रेस की राजनीति के सबसे प्रमुख हस्ती हैं। क्षेत्र में गंगा कटाव, बांध पर बसे विस्थापित की समस्या प्रमुख हैं। क्षेत्र में मटिहानी प्रखंड ,शाम्हो प्रखंड तथा बेगूसराय सदर और बरौनी प्रखंड के पंचायत शामिल हैं। सबकुछ ठीकठाक रहा तो कांग्रेस और जदयू के बीच टकराव में 15 बरसों से जमे बोगो सिंह फिर जीतते हैं या कांगेरस के सूरमा सारजन सिंह उन्हें चित्त कर देते हैं ‌।यह रिजल्ट बाद ही पता चल पाएगा।