Jaymangla Garh Temple Begusarai : नए साल 2025 में 52 शक्तिपीठों में एक माता जयमंगला का मंदिर नए और भव्य स्वरूप में दिखेगा। आकृति और आकार पुराना ही रहेगा बस क्षेत्रफल थोड़ा बड़ा हो जाएगा। मंदिर के निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियर का दावा है कि इस साल के लास्ट तक ढलाई का काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद गुम्मद का मोडिफिकेशन भी किया जाएगा।
फिलहाल, प्लिंथ लेवल तक का कार्य पूर्ण हो चुका है। बता दें कि वर्ष 2023 के मई महीने में विशालकाय बरगद का वृक्ष गिरने से माता के मंदिर का बाह्य भाग और गर्व गृह का आंशिक भाग गुमद समेत क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसे तोड़कर बाह्य भाग का निर्माण शुरू किया गया था।
इसके बाद हुए कतिपय वाद- विवाद निपटते ही अब तीव्र गति से मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य गति पकड़ चूका है। अगले माह अक्टूबर में नवरात्र के समय यहां बेगूसराय जिला ही नहीं राज्य के कोने- कोने से लोग माता की आराधना करने पहुंचेगे। इसके लिए तात्कालिक व्यवस्था किया जा रहा है।
नवरात्र में पूजा का विशेष महत्व जुटती है श्रद्धालुओं की भीड़
नवरात्र के समय यहां दुर्गा सप्तशती के सम्पूर्ण पाठ का विशेष महत्व है। बेगूसराय जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित जयमंगला माता के मंदिर परिसर में शारदीय नवरात्रा के अवसर पर पूजा-पाठ, माता का दर्शन करने का विशेष महत्व है। इन दिनों माता जयमंगला देवी परिसर में साधकों, श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। सुबह से शाम तक या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, दुर्गा सप्तशती, जयमंगला चालीसा के पाठ तथा मंत्रों से वातावरण गुंजायमान होते रहता है।
बिहार राज्य का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है माता जयमंगला का मंदिर
बेगूसराय के मंझौल अनुमंडल में स्थित राज्य के एकमात्र रामसर साइट क़ाबर झील पक्षी बिहार के मध्य में माता जयमंगला का यह मंदिर स्थित है। धार्मिक मत के अनुसार ब्रह्मवेदांत पुराण( प्रकृति खंड) के 44वें अध्याय एवं देवी भागवत पुराण (नवम् स्कंध) के 43वें अध्याय में मंगला देवी का वर्णन विस्तार से मिलता है। यहाँ बेगूसराय सहित आसपास के जिले से लोग मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा अर्चना करते हैं। वहीं राज्य और अन्य जगहों के श्रद्धालु यहाँ सालों भर पूजा अर्चना करते
गर्व गृह के चारों ओर लगाया जाएगा तिरपाल ताकि श्रद्धालुओं को न हो कोई परेशानी
माता के मंदिर परिसर में ही गर्व गृह के चारो ओर ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी, जिससे शारदीय नवरात्र में माता के दर्शन और पूजा के लिए पहुचने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। बताया जा रहा है कि प्लिंथ लेवल पर मिट्टी को समतलीकरण किया जा रहा है। इसके बाद यहा बांस बल्ला लगाकर टेंटनुमा आकृति बना दिया जाएगा। इससे दुर्गा पूजा में पाठ करने वाले श्रद्धालुओं को भी धूप और बारिश से सुरक्षा हो जाएगा।
सभी की सहमति से भव्य मंदिर निर्माण का कार्य हुआ तेज
इसी साल मई जून महीने में कई कारणों से मंदिर का निर्माण कार्य धीमा हुआ था। इसके बाद सभी की आपसी सहमति से मंदिर पुनर्निर्माण कार्य अब तेज गति पकड़ चुका है। बता दें कि माता जयमंगला का मंदिर जिस प्रांगण में स्थित है वह भूमि विवादित है।
जिसका मंझौल कोर्ट में टीएस नम्बर 182/85 गंगा प्रसाद झा एवं अन्य बनाम विहार सरकार एवं अन्य केस चल रहा है। इसी केस में न्यायालय ने अंगूरवाला बनाम देवव्रत के महत्वपूर्ण वाद में उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में मंदिर के पुजारी को क्षतिग्रस्त भाग के मरम्मती करवाने का आदेश दिया था।