महादलित बस्ती में उम्मीदों के सहारे कट रही है जिंदगी

मंझौल : कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा घोषित पहले चरण में तीन हफ्ते का देशव्यापी लोकडॉवन अंतिम कगार पर आ चुका है। वर्तमान हालात में लोकडॉवन का दूसरा चरण भी शुरू होना तय माना जा रहा है। ऐसे में मंझौल का सुदूरवर्ती क्षेत्र जहां लगभग ढाई सौ घरों में तेरह सौ की आबादी रहती है, ये आबादी उस वर्ग की है जो रोज कमाते थे तो खाते थे, लेकिन लोकडॉवन के 20 दिन बीत जाने के बाद अब इनलोगों का हाल बेहाल हो गया है।

उक्त क्षेत्र जिले के मंझौल अनुमंडल मुख्यालय से सात किलोमीटर की दूरी पर जयमंगला गढ़ स्थित मुसहरी टोला के नाम से जाना जाता है। जो कि मंझौल पंचायत तीन में आता है। यहीं के निवासी 80 वर्षीय बुजुर्ग बिनो सदा ने बातचीत में बताया कि अब तो रोज उम्मीद के सहारे जिंदगी कट रही है, सुबह होते ही नई उम्मीद होती है आज कोई इधर भी जरूरत की सामान बाँटने बाला आयेगा लेकिन शाम होते होते रोज उम्मीद टूटने लगती है और फिर कल के इंतजार में रात गुजरने लगती है।

बातचीत के दौरान इनसे पूछा कि डीलर के यहां से राशन मिलता है तो बोले हाँ मिलता है पिछले महीने का लाये भी थे, लेकिन वो तो अब खत्म होने को है। किसी तरह गुजर बसर चल रहा है, जिसको कचिया चलाने आता है वो लोग तो कटनी में चले जाते हैं लेकिन ज्यादातर लोग जो दिहाड़ी का काम करने बाले हैं और लोग रोज जयमंगला गढ़ में दुकान लगाने का काम करते थे। ये तो बीते महीने से ही ठप है। वैसे लोग अब बैठे ही रहते हैं। तभी बीच से एक बूढ़ी महिला भावुक आवाज में बोली कि बीमारी के जेतना न डोर लगे छै कि कोय गोटा घोर से नय निकलै छिये और फिर बगल से एक बच्चा रोने लगा।

मालूम हो कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर लोकडॉवन में बहुत जगहों पर जिला प्रशासन, एनजीओ, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक पार्टी के द्वारा राहत कार्य लगातार जारी हैं। लेकिन यहाँ तक अभी कोई नहीं पहुँच पायें हैं। मिली जानकारी के अनुसार सेनेटाइजर और मास्क की तो बात दूर है। साबुन बाँटने बाले भी इनलोगों तक नहीं पहुंच पाये हैं जबकि यहां के लोगों ने बताया पिछले दिनों साबुन बाँटने कोई आया था लेकिन हमलोगों के टोला में नहीं आया। उक्त स्थल पर आकर वास्तिवकता देखने के बाद कोई भी संवेदनशीलता से भावुक हो उठेगा।