जानिए क्या है अश्वगंधा : बेगूसराय में भी होगी अश्वगंधा की खेती, बहुरेंगें किसानों के दिन

मंसूरचक / बेगूसराय : अश्वगंधा कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली औषधीय फसल है। अश्वगंधा (Ashwagandha Farming) की खेती कर किसान लागत का तीन गुना लाभ प्राप्त कर सकते हैं। अन्य फसलों की अपेक्षा प्राकृतिक आपदा का खतरा भी इस पर कम होता है।ये बातें अहियापुर गाँव के किसान शैलेन्द्र कुमार चौधरी ने गुरुवार को अश्वगंधा के बारे में विस्तार से बताते हुए अपने फार्म हाउस पर कही।उन्होंने कहा कि इसकी बोआई के लिए जुलाई से सितंबर का महीना ही उपयुक्त माना जाता है। उनके अनुसार वर्तमान समय में पारंपरिक खेती में हो रहे नुकसान को देखते हुए अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

औषधीय पौधों के खेती की जानकारी आयुष मंत्रालय, भारत एवम बिहार सरकार , सबला सेवा संस्थान गोरखपुर के संस्थापक अविनाश कुमार से मिली। यह संस्था किसानों को औषधीय पौधों की खेती का प्रशिक्षण और बीज देती है। बाद में तैयार फसल को खरीद लेती है और किसानों को बाजार भी उपलब्ध करवाती है।अश्वगंधा रबि और खरीफ दोनों मे की जाती है।

करीब एक एकड़ से एक लाख 70 हजार का मुनाफा मिल जाता है। 90 दिनों में एक लाख से अधिक का मुनाफा होने की संभावना है। अश्वगंधा और तुलसी का जड़, तना और पत्ती पंचांग तक बिक जाता है। उनके अनुसार किसान भाईयों को बेचने की परेशानी होती है, पर उस समस्या का निदान सबला सेवा संस्थान गोरखपुर कर रही है।