यहाँ जानिये बेगूसराय का इतिहास, कैसे हुई थी उत्पत्ति और क्या है खूबियाँ

डेस्क : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि बेगूसराय जिला बिहार के प्रभुत्वशाली जिलाओं की फेहरिस्त में शामिल है। यहाँ की धरती अपने ऐतिहासिक और भौगोलिक बनावट , महत्व और राजनीतिक जागरूकता के लिए हमेशा से प्रसिद्ध रही है। न सिर्फ स्वाधीनता संग्राम बल्कि उसके पहले के जनआंदोलन में भी बेगूसराय जिला के तत्कालीन लोगों की भूमिका उल्लेखनीय है।

बेगूसराय को अनुमंडल बनने के बाद 102 साल लग गए थे जिला बनने में बेगूसराय बिहार के 38 जिलों में से एक है। गंगा नदी के उत्तरी किनारे पर अवस्थित ऐतिहासिक मिथिला क्षेत्र का एक हिस्सा जो वर्तमान में उत्तर बिहार में है और मुंगेर प्रमंडल के अंतर्गत आता है। जिला का प्रशासनिक मुख्यालय बेगूसराय ही है। 1870 में बेगूसराय को मुंगेर जिला के अनुमंडल के रूप में स्थापित किया गया था। जिसके एक 102 साल होने के बाद 1972 मे मुंगेर से इसे अलग कर स्वतंत्र जिला घोषित कर दिया गया। 2 अक्टूबर 1972 को स्वतंत्र जिले के रूप में बेगूसराय अस्तित्व में आया और अब अपने गौरवपूर्ण 48 वर्ष पूरे कर चुका है।

बेगूसराय ही क्यों नाम पड़ा ? बेगूसराय के नामकरण के पीछे काफी रोचक कहानी है। बेगूसराय का वर्तमान सिमरिया घाट जो पूर्व में भी था परंतु इसका नाम घोषित नहीं था। इस जगह पर भागलपुर की बेगम जब आती थी तो रूकती थी। उन्हें ये जगह इतना भा गया था कि प्रत्येक वर्ष 1 महीना वो यहाँ आकर रुकती थी। बेगम के हर वर्ष आने और रुकने की वजह से यहाँ का नाम बेगम सराय(रुकने की जगह) हो गया। जो कि अपभ्रंश बन कर अब वर्तमान में बेगूसराय बन गया है।

जिले की भौगोलिक बनावट गंगा नदी के उत्तरी किनारे पर अवस्थित जिले के उत्तर में समस्तीपुर, दक्षिण में लक्खीसराय, पूर्व में खगड़िया और पक्षिम में पटना है। जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 1918 वर्ग किलोमीटर है।

प्रशासनिक संरचना बेगुसराय में 5 अनुमंडल है। जिसमें बेगुसराय सदर , बलिया, तेघड़ा, बखरी और मंझौल शामिल हैं। बेगुसराय का प्रमंडल मुंगेर है। बेगुसराय में कुल 18 प्रखंड है। 229 ग्राम पंचायत और 1229 गांव हैं। 1 लोक सभा और 7 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र है। बेगूसराय में कुल पांच नगर निकाय हैं।

बेगूसराय की आबादी 2011 के जनगणना के रिपोर्ट के मुताबिक जिले की कुल जनसंख्या 29.71 लाख है जिसमे 15.67 लाख पुरूष और 14.02 लाख महिलाएं हैं। यह बिहार की जनसंख्या का 2.85%है। जिले का लिंगानुपात 895 है। औसत साक्षरता दर 63.87% जिसमें पुरुष दर 71.58% और महिला 55.21% है। 2011 कि आधिकारिक जनगणना के अनुसार बेगुसराय हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र है। आरंभिक समय से ही शिक्षा के क्षेत्र में बेगुसराय काफी अग्रणी रहा है।

राजनीति में बेगुसराय राजनीति के क्षेत्र में भी स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक बेगुसराय का ख़ास स्थान रहा है। वैदिक काल, पाषाण काल हर वक़्त के साक्ष्य यहाँ मौजूद मिलते हैं। स्वतंत्रता संग्राम में भी वर्ष 1930 में गांधी जी के आवाह्न पर बेगुसराय का गढ़पुरा इसका केंद्र बना जहाँ बिहार केसरी श्री कृष्ण सिंह ने नमक बनाकर नमक कानून भंग किया। इसके अलावे यहाँ अन्य कई स्वतंत्रता सेनानी भी हुए जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।

उद्योग के हालात. बेगुसराय को औद्योगिक राजधानी के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में यहाँ आई ओ सी एल का तेल सोधक कारखाना, बरौनी थर्मल पॉवर स्टेशन, डेरी के कई उद्योग, हिंदुस्तान फर्टिलाइजर लिमिटेड जैसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले कई उद्योग हैं। और भी कई सारे लघु और कुटीर उधोग भी काफी कार्यरत हैं।

पर्यटन के नज़रिए से बेगुसराय कावर झील अंतरराष्ट्रीय स्तर की ख्याति प्राप्त है। यह रामसर साइट में शामिल है। कांवर झील पक्षी अभयारण्य बेगुसराय में स्थित कांवर झील पक्षी अभयारण्य देश के प्रमुख पर्यटन स्थल में अपनी पहचान रखता है। वर्ष 1984 में बिहार सरकार ने इस स्थल को पक्षी अभयारण्य का दर्जा दिया। यह लगभग 63.11 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। 59 प्रकार के प्रवासी और 106 से ज्यादा स्थानीय प्रजाति के पक्षी के मनोरम दृश्य यहाँ देखे जा सकते हैं। झील के आस पास बसा ये इलाका अपने पास न सिर्फ पक्षी बल्कि 30 से ज्यादा प्रजाति की मछलियों को भी शरण दिए हुए।

जयमंगला गढ़ मंदिर कांवर झील से घिरा हुआ ये जगह न सिर्फ पर्यटन बल्कि धार्मिक रूप से काफी प्रसिद्ध है। बेगुसराय जिला मुख्यालय से करीब 21 किलोमीटर और मंझौल से 4 किलोमीटर दूर यह मंदिर है। मंदिर देवी का शक्ति पीठ स्थल के रूप में माना जाता है। यहां नजदीक में ही हरसैन बौद्ध स्तूप भी है। पुरातत्व विभाग को यहां भगवान बुद्ध के समय का अवशेष मिला है। यह काफी महत्वपूर्ण जगह है।

Jamangla-Gadh

नौलखा मंदिर बेगुसराय शहर के हृदय स्थल विष्णुपुर में यह मंदिर है। यह एक प्राचीन मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 17 वी शताब्दी के लगभग किया गया था। इसकी भव्यता, संरचना, शिल्प और स्थापत्यकला मनमोहक है।धार्मिक अनुभव लिए ये मंदिर बेगुसराय की धरोहर में एक है।

Naulakha-Mandir-Begusarai

बेगुसराय संग्रहालय बेगुसराय प्रारंभिक समय से ही ऐतिहासिक घटनाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता रहा है। इसका प्रमाण यहाँ पर स्थित संग्रहालय से पता चलता है। संग्रहालय की स्थापना 1981 में की गईं थी। यहाँ बिहार और प्राचिन भारत से जुड़ी कई सारी चीजें है जैसे पाल-मौर्य काल तथा ब्रिटिश काल के सिक्के, पांडुलिपि, कलाकृति आदि जो इसके इतिहास को साफ करते हैं। न सिर्फ बेगुसराय बल्कि बिहार के इतिहास को भी समझने में यह संग्रहालय मदद करता है।

Begusarai-Museum

बेगुसराय हर क्षेत्र में ही महत्वपूर्ण इतिहास समेटे हुए है , और ऐसे ही उज्ज्वल भविष्य को देखना चाहता है। कुछ दशकों से राजनीतिक व्यवस्था की उपेक्षा का शिकार बन कर थोड़ा पिछड़ ज़रूर गया है, पर उम्मीद है आने वाले वक़्त में स्वर्णिम गौरव को ज़रूर प्राप्त कर लेगा।