जानें बेगूसराय सदर विधानसभा के बारे में, 30 साल बाद 2015 में कांग्रेस ने की थी वापसी, इसबार बना हॉट सीट

डेस्क : बेगूसराय जिला मुख्यालय की सीट राजनीतिक रूप से जिले की सबसे हाट सीट मानी जाती है। बेगूसराय सदर प्रखंड की 16 पंचायतों के अलावा बेगूसराय नगर निगम क्षेत्र, संपूर्ण वीरपुर ब्लाक तथा बरौनी प्रखंड के पांच पंचायत बभनगामा,मैदा बभनगामा,सहुरी,नींगा और बरौली पंचायत इसमें शामिल हैं। जिले के राजनीतिक केन्द्र वाली इस सीट पर कभी कांग्रेस बनाम कम्युनिस्ट के बीच संघर्ष चलता था। वर्ष 2000 के बाद यह भाजपा बनाम कांग्रेस का चुनावी रणक्षेत्र बन गया है। पिछले 2015 के चुनाव में कांग्रेस ने 30 वर्षों के बाद इस सीट पर अपनी वापसी की।

इस सीट पर 1952 में बेगूसराय उत्तरी से कांग्रेस पार्टी के मो, इलियास चुने गए। जिनकी 1956 में मौत हो गरीब और उसी वर्ष हुए उपचुनाव में सीपीआई के चंद्रशेखर सिंह चुने गए। 1957 में कांग्रेस के सरयू प्रसाद सिंह ने सीपीआई को हराकर यह सीट जीत ली। 1962 में कांग्रेस ने सरयू बाबू का टिकट काट दिया और रामनारायण चौधरी को टिकट दिया गया। वे चुनाव जीत गए। लेकिन,1967 में निर्दलीय भोला सिंह ने कम्युनिस्टों की मदद से इन्हें पराजित कर सीट जीत ली। 1969 में सरयू प्रसाद सिंह ने सीपीआई के भोला सिंह को पराजित कर इस सीट पर पुनः कांग्रेस का कब्जा जमा दिया।

1972 में सीपीआई के भोला सिंह ने कांग्रेस के सरयू बाबू को पराजित कर दिया । लेकिन,1976 में वे सीपीआई छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और 1977 में वे कांग्रेस पार्टी के टिकट पर इस क्षेत्र हैं जीत गए। उन्होंने 1980 और 1985 के विधानसभा चुनाव भी इस क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर जीत कर लगातार चार बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन,1990 में रामोवामो गठबंधन में यह सीट सीपीएम के कोटे में आयी और उनके प्रत्याशी शिक्षक नेता वासुदेव सिंह ने उन्हें परास्त कर यह सीट जीत ली। वर्ष 1995 में सीपीएम ने वासुदेव सिंह का टिकट काटकर राजेन्द्र सिंह को उतारा और उन्होंने कांग्रेस के भोला सिंह को फिर परास्त कर सीट पर कब्जा जमा लिया।

2000 से राजद छोर बीजेपी में आये भोला सिंह ने सीट बीजेपी के झोली में डाल दी वर्ष 2000 में भोला सिंह राजद छोड़कर भाजपा में मिल गए और उन्होंने सीपीएम प्रत्याशी को हराकर यह सीट जीत ली। वर्ष 2005 में दोनों बार के चुनाव में उन्होंने यह सीट जीत ली। वर्ष 2009 में भोला सिंह एमपी बन गए और बेगूसराय सीट खाली हो गयी । यहां हुए उपचुनाव में भाजपा के श्रीकृष्ण सिंह ने फिर चुनावी फतह पूरी की। वर्ष 2010 में हुए उपचुनाव में इनका टिकट काटकर भाजपा ने सुरेन्द्र मेहता को टिकट दिया और वे चुनाव जीत गए। वर्ष 2015 के चुनाव में कांग्रेस की अमिता भूषण ने सुरेन्द्र मेहता को पराजित कर 30 बरसों के बाद इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा दिलाया।

इस बार की लड़ाई भी यहां गठबंधन के बीच होगी। महागठबंधन से कांग्रेस की अमिता भूषण की सीटिंग सीट होने की वजह से उतरना तय माना जा रहा है। एनडीए में यह भाजपा की रनर सीट है।इस चुनाव में भी उसी के पाले में इसका जाना तय माना जा रहा है। भाजपा से आधे दर्जन दावेदार इस सीट के हैं। उनमें सांसद प्रतिनिधि अमरेन्द्र कुमार अमर, कुंदन सिंह, पूर्व विधायक सुरेन्द्र मेहता, पूर्व अध्यक्ष संजय सिंह,संजय कुमार, जयराम दास, संजय गौतम आदि हैं। भाजपा के टिकट के लिए यह सीट महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
क्षेत्र में सड़क, बिजली, जलजमाव आदि की समस्याएं हैं।