कन्हैया कुमार ने बेगूसराय से बिना नाम लिए साधा पीएम मोदी पर निशाना , कहा – कारखानों का धूंल फांके हम और नौकरी करे बाहरी लोग

न्यूज डेस्क : बेगूसराय के गढ़हरा निवासी कामरेड मो महबूब आलम उर्फ चौधरी सलाउद्दीन की स्मृति में रविवार को आसिफपुर में श्रद्धांजलि सभा सह संकल्प सभा का आयोजन हुआ।इस मौके पर जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष सह सीपीआई कामरेड कन्हैया कुमार ने कहा कि उन्होंने कहा कि राजनीति के क्षेत्र ने आने के बाद हमेशा कार्यक्रम के माध्यम से चौधरी सलाउद्दीन बाबू के आवास पर रुकना होता था।वे अभिभावक की तरह हमेशा साथ रहते थे और लोकप्रिय सलाउद्दीन जी का व्यक्तित्व उनके जनाजे से लगाया जा सकता है।

कुछ लोग बड़े होते हैं लेकिन सामाज के लिए नहीं।लेकिन कुछ लोग इंसान कमाते हैं।उन्हें लोगों से अपनापन और प्यार था। वे दिन रात जरूरतमंद की सेवा के लिए तत्पर रहते थे। आज उस याद को समेटने के लिए खड़ा हूँ।वे हर पर्व त्योहार में सजग रहते थे।कभी गढ़हरा में सौहार्दपूर्ण माहौल को खराब नहीं होने दिया।जिले भर में लोग उन्हें याद करते थे। वे जनता और जमीन से जुड़े नेता थे।जो कारवां वे चलाये उनकी कोशिश को मंजिल तक पहुंचना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

बिना नाम लिए पीएम मोदी पर साधा निशाना लीडर कन्हैया कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी का नाम बिना नाम लिए इशारे में कहा कि एक फर्जी आदमी ने विकास का नाटक कर सबको मास्क पहना दिया।महामारी के नाम पर देश को खोखला करने की साजिश किया।कोरोना से लाखों लोग मरे लेकिन सरकार के पास उसका सही आंकड़ा नहीं है।जब लोगों ने आरोप लगाया तो कहा गया कि राज्यों से आंकड़े नहीं भेजे गए।अब सोचना है कि जब देश के अधिकांश राज्यों में उनकी सरकार है तो बहाने बाजी कहाँ तक जायज है। देश में बिना आक्सीजन, एम्बुलेंस व इलाज के लाखों लोगों की जाने गयी।उन्हें देश में जनसंख्या कानून लागू करने की जोर है। समस्या नीति का नहीं उनकी नियत का है। ठीक है पैदा होने वाले के लिए कानून बनाया जाय लेकिन जो पैदा हो चुके हैं उनके लिए सरकार क्या कर रही है। देश में कमाई,पढ़ाई,दवाई किसी चीज की उचित व्यवस्था नहीं है।

उन्हें जनता को देने के लिए पैसा नहीं है लेकिन हवाई जहाज खरीदने के लिए खूब पैसा है। उन्होंने कहा कि फर्जी नेता लोगों को हमेशा मुख्य मुद्दों से लोगों का ध्यान भटका देते हैं। इनदिनों अच्छे पढ़ने वाले,पढ़ाने वाले, पत्रकार, नेता आदि को जेल में बंद कर दिया गया है।अब फोन टेपिंग के मामले में बहुत सारे लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है।संसद में पत्रकारों व अन्य लोगों को मौजूद रहना अब सरकार को समस्या लगती है।उसे अब हटाना चाहते हैं।ताकि मुख्य मुद्दा बेरोजगारी, महंगाई,बेहतर शिक्षा आदि उजागर नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि किसानों, मजदूरों,रोजगार करने वाले को सुविधा मिले।मेडिकल, इंजिनियरिंग पढ़ने वाले सभी अपने जिला या राज्य में ही पढ़े और आगे बढ़े।उन्होंने कहा कि रिफाइनरी,फर्टिलाईजर,थर्मल का धुंआ हमलोग फांके और नौकरी बाहर के लोग आकर करे।यह अब होने नहीं दिया जाएगा।एक नीति तैयार किया जाना चाहिए।बेगूसराय एक मॉडल जिला बने।

मौके पर तेघरा विधायक राम रतन सिंह,पूर्व विधायक राजेन्द्र प्रसाद सिंह,पूर्व विधायक अवधेश राय,जलेस के राज्य सचिव विनिताभ,चंद्रशेखर सिंह उर्फ जुलुम सिंह,दिलेर अफगान, प्रह्लाद सिंह,सरपंच कपिल देव राय,आनंद प्रसाद सिंह,जिप सदस्य अरविंद सिंह,प्रमोद चौधरी,जय प्रकाश सिंह,संजीव सिंह,राजद नेता मो मकबूल आलम, अरुण यादव,अनिकेत यादव,मो मुन्ना,कांग्रेस नेता राम अनुग्रह शर्मा, अनिल सिंह, उमेश राय,वार्ड पार्षद पंकज मिश्र, भाजपा नेता प्रमोद सिंह, डॉ एमके मिश्रा, कामरेड मो रिजवान,मो साकिर,मो दानिश महबूब, मो ताबिस,मो साजिद, नरेश प्रसाद,मुनेश्वर साह आदि ने उनके तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।कार्यक्रम के पूर्व कामरेड कन्हैया कुमार ने मोहल्ले के मुख्य द्वार पर कामरेड सलाउद्दीन के नाम से एक द्वार निर्माण का शिलान्यास किया।विधायक राम रतन सिंह ने कहा कि आसिफपुर गढ़हरा निवासी 57 वर्षीय समाजसेवी पूर्व पंसस मो महबूब आलम उर्फ सलाउद्दीन का आकस्मिक मौत कोरोना से 6मई को हो गया।

इस घटना से मुस्लिम समुदाय ही नहीं पूरे जिले के लोगों में शोक की लहर फैल गयी। वे सीपीआई में गढ़हरा शाखा सचिव पद पर थे। वे पार्टी के मजबूत स्तम्भ थे। उन्हें हर दल और हर तबके के लोग सम्मान की नजरिया से देखते थे।वे सामाजिक सौहार्द सद्भाव के सक्रिय पक्षधर थे। सलाउद्दीन बाबू के निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई।वे एक समाजसेवी योद्धा व चिंतक को खो दिए हैं।सलाउद्दीन बाबू से साक्षरता आंदोलन के कार्यों से उनका जुड़ाव 1995 से ही था। 1999 तक वे नॉडल के महत्वपूर्ण सदस्य थेजिले के कई गांवों में छोटी बड़ी विवाद को सुलझाने में उनको लोग खोजते थे।वे जन जन के अभिभावक थे। वे सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे।