पटना : बिहार राज्य के बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के पूर्व उम्मीदवार व सीपीआई नेता कन्हैया कुमार इन दिनों लॉक डाउन के नियमों का पूर्णतः पालन कर रहे हैं। दरअसल कोरोना काल में कन्हैया कुमार बेगूसराय और बिहार की राजनीति से अलग सिर्फ रास्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुद्दों में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जो चर्चा का विषय बना हुआ है। लॉक डाउन 4.0 में बिहार में प्रवासी कामगारों के लौटने के बाद से रोजगार सृजन को लेकर बिहार सरकार प्रयासरत है, लेकिन धरातल पर सरकार की व्यवस्था नाकाफी साबित हो रहे हैं, वहीं बीते दिनों जनवरी में हुए एसटीइटी परीक्षा को भी रद्द कर दिया गया।
जिसके बाद से बिहार के छात्र युवाओं में काफी आक्रोश देखा जा रहा है, लेकिन कन्हैया कुमार को इस आक्रोशित युवाओं के मुद्दा में कोई दिलचस्पी नहीं हैं, कोरोना से पहले अपने आप को बिहार के युवाओं का हितैषी बताने बाले नेता के द्वारा ऐसे वक्त में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देना सवालों के घेरे में है। शनिवार को बिहार के युवा बिहार सरकार के खिलाफ ट्विटर पर आवाज उठा रहे थे लेकिन कन्हैया ने इस आवाज की सुध लेना उचित नहीं समझा , लेकिन जामिया के समर्थन के ट्वीटर ट्रेंड पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र की सरकार पर तगड़ा निशाना लगाया ।
कन्हैया ने ट्वीट में लिखा कि
ये सरकार जब से सत्ता में आई है, इसने अपने ही नागरिकों के खिलाफ़ एक जंग छेड़ रखी है। सरकार से सवाल को देशद्रोह और विरोध को आतंकी गतिविधि मान लिया गया है। जब दुनियां कोरोना से लड़ रही है तब भी सरकार अपनी ही युनिवर्सिटी और विद्यार्थियों पर हमले कर रही है। शर्मनाक
कोरोना से पहले बिहार के कुछ युवा कन्हैया में बिहार की भविष्य तलाश कर रहे थे, लेकिन कन्हैया कुमार को बिहार के युवा से ज्यादा जामिया की चिंता है, ये खुद कन्हैया कुमार के ट्विटर हैंडल से झलक रहा है।